नई दिल्ली | भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने लगातार तीसरी बार नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया है। फिलहाल आरबीआई की रेपो रेट 6.50 फीसदी पर रहेगी. इससे पहले आरबीआई ने अप्रैल और जून के पॉलिसी साइकल में भी ब्याज दरों पर रोक रखी थी. रेपो रेट में आखिरी बदलाव फरवरी 2023 में देखा गया था. उस वक्त आरबीआई ने 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. आरबीआई ने मई 2022 से फरवरी 2023 तक ब्याज दरों में 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी की है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यह देखकर खुशी हो रही है कि भारतीय अर्थव्यवस्था उचित गति से आगे बढ़ रही है. भारत के मजबूत बुनियादी सिद्धांतों ने सतत विकास की नींव रखी है। भारत दुनिया के लिए नया ग्रोथ इंजन बन सकता है।'
उन्होंने कहा कि एमपीसी ने सर्वसम्मति से रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है. वहीं, स्थायी जमा सुविधा दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। एमएसएफआर को भी 6.75 फीसदी पर बरकरार रखा गया है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि एमपीसी महंगाई दर को 4 फीसदी पर बनाए रखने के लिए आगे बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था लगातार कड़ी चुनौतियों का सामना कर रही है. कई अर्थव्यवस्थाओं ने लचीलेपन का प्रदर्शन किया है।
आरबीआई ने जीडीपी अनुमान में कोई बदलाव नहीं किया
वहीं आरबीआई ने अपने जीडीपी अनुमान में कोई बदलाव नहीं किया है. वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी का अनुमान 6.5 फीसदी ही रखा गया है. जबकि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 8 फीसदी, जुलाई से सितंबर तिमाही में 6.5 फीसदी, अक्टूबर से दिसंबर तिमाही में 6 फीसदी और जनवरी से मार्च तिमाही में 5.7 फीसदी का अनुमान लगाया गया है. वहीं अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी का अनुमान घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया गया है.
मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान क्या है?
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ा दिया है। आंकड़ों के मुताबिक आरबीआई ने अपने पिछले अनुमान को 5.1 फीसदी से बढ़ाकर 5.4 फीसदी कर दिया है. वहीं जुलाई-सितंबर 2023 के लिए सीपीआई महंगाई का अनुमान 5.2 फीसदी से बढ़ाकर 6.2 फीसदी कर दिया गया है. अक्टूबर-दिसंबर 2023 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति का अनुमान 5.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया गया है। जनवरी-मार्च 2024 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति अनुमान में बिना किसी बदलाव के 5.2 प्रतिशत पर रखी गई है। वहीं, अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में महंगाई दर का अनुमान 5.2 फीसदी रखा गया है.
महंगाई एक समस्या बनती जा रही है
दरअसल, देश में महंगाई आरबीआई के लिए सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है। कई पोल और अनुमान के मुताबिक जुलाई महीने में खुदरा महंगाई दर 6.5 फीसदी से लेकर 6.70 फीसदी तक रह सकती है. मई महीने में खुदरा महंगाई दर 4.25 फीसदी थी और जून महीने में यह बढ़कर 4.80 फीसदी हो गई थी, जिसे इस साल का उच्चतम स्तर भी बताया गया था. ऐसे में आरबीआई के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आरबीआई आने वाले महीनों के लिए किस तरह के अनुमानित मुद्रास्फीति के आंकड़े पेश करेगा, क्योंकि रिजर्व बैंक द्वारा पेश किए गए पिछले आंकड़े पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके हैं।
सब्जियों के दामों ने मचाई परेशानी!
जून महीने में कम बारिश और उसके बाद देश के कुछ हिस्सों में ज्यादा बारिश और कुछ हिस्सों में बहुत कम बारिश के कारण देश में सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं. खासकर टमाटर की कीमतों ने आम लोगों की जेब पर सबसे ज्यादा असर डाला है. यही वजह है कि जुलाई में खुदरा महंगाई दर काफी ज्यादा रहने का अनुमान लगाया जा रहा है. टमाटर की कीमत 300 रुपये से ज्यादा और अदरक की कीमत 400 रुपये से ज्यादा देखी गई है. जिनके दाम अक्टूबर तक ऐसे ही बने रहने की उम्मीद है.