आरबीआई और मंत्रालय मिलकर बना रहे सीओसी, सीईए ने कहा....

कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय आईबीसी के तहत लेनदारों की समिति (सीओसी) के संचालन के मुद्दे पर वित्त मंत्रालय, आरबीआई और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के साथ मिलकर काम कर रहा है। 

Update: 2021-08-28 05:26 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।  मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) केवी सुब्रमण्यन ने शुक्रवार को कहा कि दिवालिया ऋणशोधन अक्षमता कानून (आईबीसी) लागू होने के बाद कॉरपोरेट कर्जदारों का दबदबा (सामंतवाद) खत्म हो गया। इससे पहले कर्जदार कंपनियों पर नियंत्रण को अधिकार मानते थे। आईबीसी 2016 में लागू हुआ था।

उद्योग मंडल सीआईआई की ओर से 'आईबीसी के 5 साल, विषय पर कार्यक्रम में सीईए ने कहा कि यह साफ है कि अब सामंतवाद वापस नहीं आएगा। सामंतवाद कभी अच्छा नहीं होता, बल्कि पूंजीवादी व्यवस्था में यह सबसे खराब है।

आईबीसी के तहत जब कोई कंपनी कर्ज समाधान के लिए आती है, तो कर्जदाताओं का समूह अपनी न्यूनतम राशि तय करता है। अगर समाधान नहीं हो पाता, तो कंपनी को बेचकर पैसे वसूले जाते हैं। इससे पहले तक कॉरपोरेट जगत से कर्ज वसूलना टेढ़ी खीर माना जाता था। हालांकि, इसी सफलता में सभी को योगदान देना होगा। 

आरबीआई और मंत्रालय मिलकर बना रहे सीओसी

कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय आईबीसी के तहत लेनदारों की समिति (सीओसी) के संचालन के मुद्दे पर वित्त मंत्रालय, आरबीआई और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के साथ मिलकर काम कर रहा है। यह जानकारी कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के सचिव राजेश वर्मा ने दी।

हालांकि, इस संबंध में विस्तार से नहीं बताया। उन्होंने कहा कि हम दिवालिया ढांचे को अधिक प्रभावी और कुशल बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। यह निश्चित रूप से भारत के 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की सफलता की कहानी के अहम अध्यायों में एक होगा।  

5.5 लाख करोड़ के 17,837 मामले सुलझे

वाणिज्य सचिव राजेश वर्मा ने बताया कि जुलाई, 2021 तक आईबीसी के तहत प्रारंभिक स्तर पर ही 5.5 लाख करोड़ के 17,837 मामले सुलझाए जा चुके हैं। 2016 में शुरू हुई इस प्रक्रिया के तहत समयबद्ध तरीके से कंपनियों के कर्ज का समाधान होता है। 2021 में जुलाई तक 4,570 मामले आए, जिनमें समीक्षा के स्तर पर ही 657 विवाद का समाधान हो चुका है। इसके अलावा 466 मामले वापस ले लिए गए, जबकि 404 को समाधान के लिए भेजा गया है।

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