RBI ने विदेशी लेन-देन में रेट के उपयोग को बंद करने के लिए, बैकों को जारी किया नया निर्देश
ब्रिटेन के फाइनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी की ओर से लिए गए एक फैसले के आधार पर आरबीआई ने वित्तीय अनुबंधों को लेकर कुछ बदलाव किए है. इसके तहत लीबोर की जगह दूसरे विकल्पों के प्रयोग की सलाह दी गई है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ब्रिटेन के फाइनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी (एफसीए) की ओर से मार्च में घोषणा की गई थी कि सभी लीबोर सेटिंग्स प्रशासक द्वारा प्रदान करना बंद कर दी जाएंगी. ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों को नए वित्तीय अनुबंधों के लिए लीबोर (लंदन इंटरबैंक ऑफर्ड रेट) के बजाय दूसरे विकल्पों का सहारा लेने को कहा है. आरबीआई ने निर्देश जारी कर कहा कि बैंक अन्य वैकल्पिक संदर्भ जैसे- एआरआर और MIFOR का इस्तेमाल कर सकते हैं.
आरबीआई ने ब्रिटेन की एफसीए के निर्णय से बने हालात से निपटने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों को संदर्भ दर के रूप में लीबोर के आधार पर नए वित्तीय अनुबंध करने से मना किया है. साथ ही कहा कि वे हर हाल में 31 दिसंबर 2021 तक व्यापक रूप से एआरआर और MIFOR जैसे विकल्प का प्रयोग करें.
केंद्रीय बैंक ने वित्तीय संस्थानों को यह सुझाव दिया कि उन सभी वित्तीय अनुबंधों में वैकल्पिक दर को लेकर उपबंध शामिल करना चाहिए, जो लीबोर संदर्भ दर से जुड़ा है. आरबीआई ने वित्तीय संस्थानों को मुंबई इंटरबैंक फॉरवर्ड आउटराइट रेट (MIFOR) का उपयोग 31 दिसंबर 2021 तक बंद करने की भी सलाह दी है, जो एक मानक दर है और लीबोर से जुड़ी है.
एफडी नियमों में भी किया बदलाव
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कुछ समय पहले फिक्स्ड डिपॉजिट को लेकर बड़ा बदलाव किया. इसके तहत मैच्योरिटी की तारीख पूरी होने के बाद भी अगर इसकी राशि पर क्लेम नहीं किया जाता है तो इस पर ब्याज कम मिलेगा. आरबीआई के अनुसार अगर फिक्स्ड एफडी की अवधि पूरी हो जाने के बावजूद राशि का भुगतान नहीं हो पाता और बैंक के पास रकम बिना क्लेम के पड़ी रहती है तो उस पर बचत जमा पर देय ब्याज के हिसाब से ब्याज दिया जाएगा.