वीडियो आधारित पहचान प्रक्रिया के लिए KYC नियमों में RBI ने किया संशोधन, ऐसे मिलेगा फायदा
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने केवाईसी के संदर्भ में जारी मास्टर निर्देशों में संशोधन किया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने केवाईसी के संदर्भ में जारी मास्टर निर्देशों में संशोधन किया है। यह संशोधन ग्राहकों की वीडियो आधारित पहचान प्रक्रिया (वी-सीआईपी) का अधिक लाभ उठाने तथा केवाईसी को समय-समय पर अपडेट किए जाने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए किया गया है।
क्या है वी-सीआईपी?
वी-सीआईपी बैंक ग्राहक की पहचान करने का एक वैकल्पिक तरीका है, जिसमें ग्राहक के चेहरे को देखकर पहचान की जाती है। इसके तहत रिजर्व बैंक आने वाली इकाई का प्राधिकृत अधिकारी ग्राहक की जांच-परख करता है। इसके तहत ग्राहक के साथ ऑडियो-वीडियो बातचीत के आधार पर बिना किसी अड़चन के, सुरक्षित, जीवंत और सहमति के बाद पहचान के बारे में जानकारी जुटाई जाती है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि उसके नियमन के तहत आनी वाली कंपनी व्यक्तिगत नए ग्राहक, प्रापराइटरशिप फर्म के मामले में उसके मालिक, कानूनी इकाई के मामले में उसके प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता और लाभार्थी मालिक ग्राहक की जांच व परख के लिए वी-सीआईपी प्रक्रिया को अपना सकते हैं।
रिजर्व बैंक नियमन वाली इकाइयों में बैंक, एनबीएफसी और भुगतान प्रणाली परिचालक शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि ये इकाइयां बिना चेहरे के खोले गए खातों को चेहरे वाले में बदलने के लिए भी वी-सीआईपी प्रक्रिया का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए वह आधार ओटीपी आधारित ई-केवाईसी सत्यापन और पात्र ग्राहकों के लिए केवाईसी को समय-समय पर अपडेट करने के लिए कर सकते हैं।
दिसंबर तक बैंक नहीं लगाएंगे कोई दंडात्मक प्रतिबंध
मालूम हो कि भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में बैंकों और अन्य विनियमित वित्तीय संस्थाओं से कहा कि केवाईसी अपडेट नहीं कराने वाले ग्राहकों के खिलाफ दिसंबर तक कोई दंडात्मक प्रतिबंध न लगाने को कहा था। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने घोषणा की थी कि, 'देश के विभिन्न हिस्सों में कोविड से संबंधित प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए विनियमित संस्थाओं को सलाह दी जाती है कि ग्राहक खातों के लिए जहां समय-समय से केवाईसी अपडेट (अद्यतन करने की प्रक्रिया) लंबित है, वहां ग्राहक खाते के संचालन पर कोई दंडात्मक प्रतिबंध 31 दिसंबर 2021 तक लागू न किया जाए।'