डिजिटल लोन देने वाले लेंडर्स पर नकेल कसने की तैयारी, RBI द्वारा गठित कार्य समूह ने की सिफारिश
RBI द्वारा गठित कार्य समूह ने की सिफारिश
मिनटों में ऑनलाइन लोन देने वाले डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप पर नकेल कसने वाला है। दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा गठित कार्य समूह ने कुछ ऐसी सिफारिश की है, जिसके लागू होने के बाद ऐसे प्लेटफॉर्म की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ये वो प्लेटफॉर्म हैं जहां से बेहद आसान शर्तों पर लोन की रकम मिल जाती है लेकिन इसके बाद लेंडर्स अपनी मनमानी करने लगते हैं। मनमाने ढंग से ब्याज और लोन की रकम वसूली जाती है। आने वाले दिनों में ऐसे लेंडर्स की मुश्किलें बढ़ेंगी।
क्या है सिफारिश: आरबीआई कार्य समूह ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि डिजिटल कर्ज लेने वालों के बैंक खातों में सीधे तौर पर छूट दी जानी चाहिए। इसके अलावा सिर्फ डिजिटल ऋणदाताओं के बैंक खातों के माध्यम से ही लोन का वितरण किया जाना चाहिए। आरबीआई के कार्य समूह ने सुझाव दिया है कि डेटा संग्रह की अनुमति केवल कर्ज लेने वालों की पूर्व और स्पष्ट सहमति के साथ सत्यापन योग्य ऑडिट ट्रेल्स के साथ दी जानी चाहिए। इसके अलावा, सभी डेटा को भारत में स्थित सर्वरों में संग्रहीत किया जाना चाहिए।
आवश्यक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल कर्ज में उपयोग की जाने वाली एल्गोरिथम सुविधाओं का दस्तावेजीकरण किए जाने की भी सिफारिश की गई है। वहीं, प्रत्येक डिजिटल ऋणदाता को वार्षिक प्रतिशत दर सहित एक मानकीकृत प्रारूप में एक महत्वपूर्ण तथ्य विवरण देने की सिफारिश है। आरबीआई के परामर्श से वसूली के लिए एक मानकीकृत आचार संहिता भी तैयार करने वाला है।
बता दें कि आरबीआई ने 13 जनवरी, 2021 को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप के माध्यम से लोन देने सहित डिजिटल लोन पर कार्य समूह का गठन किया था। आरबीआई के मुताबिक कार्य समूह द्वारा की गई सिफारिशों और सुझावों पर अंतिम राय लेने से पहले आम लोगों की राय ली जाएगी।