Oppo का नया फिटनेस बैंड AMOLED हुआ लॉन्च, जानिए इसका खासियत

स्मार्टफोन निर्माता कंपनी Oppo ने भारतीय बाजार में F19 Pro के इवेंट में Oppo Band Style को लॉन्च कर दिया गया है।

Update: 2021-03-09 11:07 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| स्मार्टफोन निर्माता कंपनी Oppo ने भारतीय बाजार में F19 Pro के इवेंट में Oppo Band Style को लॉन्च कर दिया गया है। कंपनी ने वियरेबल सेगमेंट के तहत इस फिटनेस बैंड को भारतीय यूजर्स के लिए उतारा है। वाटर रेसिस्टेंट होने के चलते इस फिटनेस बैंड को स्वीमिंग के दौरान भी आसानी से पहन कर इस्तेमाल किया जा सकता है। 12 वर्कआउट मोड्स लैस इस फिटनेस बैंड में कई बेहतरीन फीचर्स दिए गए हैं।

इस नए फिटनेस बैंड में कई हेल्थ-सेंट्रिंक फीचर्स दिए गए हैं, लेकिन इनमें सबसे खास SpO2 मॉनिटर है। यह एक जरूरी ब्लड ऑक्सीजन लेवल मॉनिटर है जो कि तय समय पर ब्लड में मौजूद ऑक्सीजन की जानकारी देता है। कोरोनावायरस के बाद से ब्लड ऑक्सीजन लेवल को मापना काफी जरूरी हो गया है, क्योंकि इसमें लोगों का ऑक्सीजन लेवल काफी तेजी से गिरता है जो कि खतरनाक होता है।
अब ऐसे में लोगों ने खुद इसको मापने के लिए ऑक्सीमीटर खरीदा था। अब टेक्नोलॉजी इक्विपमेंट निर्माता कंपनियां ऑक्सीमीटर के थोड़े टोन्ड-डाउन वर्जन को फिटनेस बैंड और स्मार्टवॉच में देकर पहनने योग्य बना रही हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं कि Oppo Band Style फिटनेस बैंड में कैसे फीचर्स दिए गए हैं
आमतौर पर एक फिटनेस बैंड का काम यह ट्रैक करना होता है कि यूजर कितना फिट है। ओप्पो इन फीचर्स पर खास ध्यान देते हुए इस फिटनेस बैंड के जरिए आपको बताएगा कि आपकी हेल्थ के साथ क्या हो रहा है और आप कितने फिट हैं यह आपको इसकी मोटी-मोटी जानकारी देगा। यह फिटनेस बैंड ब्लड ऑक्सीजन लेवल, हर्ट रेट और स्लीप साइकिल को भी ट्रैक करता है। Oppo Band Style में दिया गया हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम नींद की समस्याओं (Sleep Problem) का आसानी से पता लगाता है। नींद की सभी समस्याओं का डाटा Band Style कलेक्ट करता है और HeyTap हेल्थ ऐप में लॉगिन करने के बाद यूजर्स को सुझाव देने के लिए उन पर काम करता है।
फीचर्स: फीचर्स की बात की जाए तो Oppo Band Style में 1.1 इंच की फुल कलर AMOLED स्क्रीन दी गई है जो कि कंपनी ने ओप्पो वॉच में भी इस्तेमाल की है। इस बैंड में दी गई रेक्टेंगुलर शेप वाली डिस्प्ले और मैटल फ्रेम के साथ स्ट्रैप इसे काफी आकर्षित बनाती है। Oppo Band Style में हर्ट रेट मॉनिटर और SpO2 मॉनिटर दिया गया है। इस बैंड में दिए गए ये दोनों सेंसर लगातार रियल टाइम डाटा को रिकॉर्ड करता है। इस दौरान फिटनेस बैंड की बैटरी लाइफ पर असर पड़ता है। Oppo दावा करता है कि इस फिटनेस बैंड में लो-पावर प्रोसेसर इस्तेमाल किया गया है। इसमें 100mAh की बैटरी दी गई है जो कि फुल चार्ज होने में सिर्फ 1.5 घंटे का समय लेती है।
Oppo के इस फिटनेस बैंड में 12 वर्कआउट मोड्स दिए हैं, जिसमें साइकिलिंग, योग, स्वीमिंग, बैडमिंटन और रनिंग शामिल है। जैसे कि इसमें स्वीमिंग मोड दिया गया है तो यह फिटनेस बैंड वाटर रेसिस्डेंट हैं, लेकिन इसमें कोई आईपी रेटिंग नहीं दी गई है। इसके जरिए एकत्रित किया गया डाटा HeyTap Health ऐप में रिकॉर्डिड होता है। यह ऐप एंड्रॉयड और आईओएस दोनों ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।
सबसे पहले अपने स्मार्टफोन में इस ऐप को डाउनलोड करना है और उसके बाद वॉच को ऐप के जरिए फोन से कनेक्ट करना है। Oppo Band Style में मैसेजिंग और कॉल नोटिफिकेशन देखी जा सकती हैं। इस फिटनेस बैंड में म्यूजिक प्लबैक को कंट्रोल किया जा सकता है। इसके साथ ही पेयर्ड मोबाइल फोन को फाइंड किया जा सकता है।
कलर ऑप्शन: कलर ऑप्शन की बात की जाए तो Oppo Band Style स्ट्रैप्स के मामले में दो अलग-अलग कलर्स में उपलब्ध है। पहला बेसिक स्पोर्ट्स वर्जन और दूसरा स्टाइल वर्जन है।
कीमत और उपलब्धता: कीमत की बात की जाए तो Oppo Band Style की शुरुआती कीमत 2,999 रुपये है। वहीं उपलब्धता की बात करें तो फिलहाल यह फिटनेस बैंड सिर्फ ई-कॉमर्स साइट Amazon पर ही उपलब्ध है।शोधकर्ताओं का कहना हैं कि अभी और शोध करने की जरूरत है कि रात की शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में कैंसर को रोकने और इलाज करने के लिए क्या कर सकते हैं.
WSU कॉलेज ऑफ फार्मेसी एंड फार्मासूटिकल साइंसेज की एसोसिएट प्रोफेसर और इस स्टडी की ऑथर शोभन गड्डामीधी कहती हैं, 'इस बात के सूबत मिले हैं कि रात की शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में कैंसर का खतरा होता है. जिसकी वजह से वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों को संभावित कार्सिनोजेनिक यानी Carcinogenic के रूप में वर्गीकृत किया है.
डब्ल्यूएसयू (WSU) स्लीप एंड परफॉर्मेंस रिसर्च सेंटर और यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी के पैसिफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लेबोरेटरी (PNNL)के साथ मिलकर WSU के वैज्ञानिकों ने शोध किया कि बॉयोलाॉजिकल क्लॉक में ऐसे कौने से बदलाव होते हैं जिसकी वजह से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. शोधकर्ताओं ने 14 प्रतिभागियों पर एक्सपेरिमेंट किया. इस दौरान प्रतिभागियों ने WSU के हेल्थ साइंसेज के स्लीप लैबोरेटरी में 7 दिन बिताएंं. इस दौरान आधे लोगों को नाइट शिफ्ट में बाकी को डे शिफ्ट में रखा गया था. इस दौरान नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों के डीएनए में डैमेज देखने को मिला है.


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