नई दिल्ली: अडानी समूह (Adani Group) मीडिया सेक्टर में दमदार उपस्थिति बनाने के लिए आक्रामक तरीके से काम कर रहा है. फिलहाल दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी का समूह मीडिया कंपनी एनडीटीवी (NDTV) का अधिग्रहण करने का प्रयास कर रहा है. इस डील (Adani NDTV Deal) की राह में सेबी के एक पुराने ऑर्डर के कारण अड़चन आने की खबरों के बीच अडानी समूह ने ओपन ऑफर का ऐलान कर दिया है.
अडानी समूह एनडीटीवी की अतिरिक्त 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए 17 अक्टूबर को ओपन ऑफर लॉन्च करेगा. इस ओपन ऑफर को मैनेज कर रही कंपनी जेएम फाइनेंशियल ने एक बयान में बताया कि ओपन ऑफर 17 अक्टूबर को लॉन्च होगा और 01 नवंबर को बंद हो जाएगा. इस ऑफर के जरिए अडानी समूह एनडीटीवी के 1.67 करोड़ शेयरों को खरीदने का प्रयास कर रहा है. इसके लिए 294 रुपये प्रति शेयर का भाव तय किया गया है. अगर इस दर पर ऑफर को पूरी तरह से सब्सक्राइब किया गया तो इसकी कुल रकम 492.81 करोड़ रुपये हो जाएगी.
इससे पहले अडानी समूह की एक कंपनी ने मीडिया कंपनी नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (New Delhi Television Ltd) के 29.18 फीसदी शेयर को अप्रत्यक्ष तरीके से खरीदने का ऐलान किया था. इस डील को अडानी ग्रुप की मीडिया कंपनी एएमजी मीडिया नेटवर्क्स (AMG Media Networks) की सब्सिडियरी विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (Vishvapradhan Commercial Private Limited) के माध्यम से पूरा करने का प्रयास चल रहा है. हालांकि अभी यह डील सेबी के एक पुराने फैसले के कारण अटकी हुई है.
दरअसल सेबी ने एनडीटीवी के प्रवर्तकों प्रणय रॉय (Prannoy Roy) और राधिका रॉय (Radhika Roy) को 2020 में 2 साल के लिए सिक्योरिटी मार्केट से प्रतिबंधित कर दिया था. सेबी ने यह प्रतिबंध 27 नवंबर 2020 को लगाया था. इस तरह दोनों प्रवर्तकों के ऊपर अभी सेबी का प्रतिबंध लागू ही है, जो 27 नवंबर 2022 के बाद ही हट सकता है. सेबी ने दोनों के ऊपर प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि वे इसके हटने तक सिक्योरिटी मार्केट में न तो कुछ खरीद सकते हैं और न ही बेच सकते हैं. एनडीटीवी और उसकी एक प्रमोटर कंपनी आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड का कहना है कि सेबी के इस ऑर्डर के चलते अडनी समूह की कंपनी को 29.18 फीसदी हिस्सेदारी ट्रांसफर नहीं की जा सकती है.
यह मामला एक दशक से ज्यादा पुराना है. एक कंपनी विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड ने 12 साल पहले एनडीटीवी की एक प्रमोटर कंपनी आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड (RRPR Holding Pvt Ltd) को कर्ज दिया था. आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड ने इस कर्ज के बदले एनडीटीवी की अपनी हिस्सेदारी विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड को गिरवी के रूप में दी थी. विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड को उस कर्ज के साथ में यह अधिकार भी मिला था कि वह एनडीटीवी में आरआरपीआर होल्डिंग के शेयरों का अधिग्रहण कर सकती है. एनडीटीवी में आरआरपीआर होल्डिंग की 29.18 फीसदी हिस्सेदारी है. अब अडानी समूह ने विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड को खरीद लिया है. अडानी समूह इसी कर्ज की शर्त को आधार बनाकर आरआरपीआर को शेयर ट्रांसफर करने के लिए कह रहा है.
एनडीटीवी और आरआरपीआर की दलील पर अडानी समूह का कहना है कि सेबी का पुराना फैसला इस मामले में लागू नहीं हो सकता है. अडानी समूह के अनुसार, कर्ज और शेयर ट्रांसफर की शर्त पर समझौता 12 साल पहले हो गया था, जबकि सेबी का आदेश करीब 02 साल ही पुराना है. इसे लेकर अडानी समूह ने सेबी के पास मामला साफ करने की अर्जी भी दी है.
वहीं इस बीच कई खबरों में दावा किया जा रहा है कि सेबी भी अडानी समूह की दलील से सहमत है. खबरों के अनुसार, बाजार नियामक को भी लगता है कि 02 साल पुराना फैसला 12 साल पुरानी डील पर लागू नहीं हो सकता है. अगर ऐसा होता है तो आरआरपीआर को 29.18 फीसदी शेयर अडानी समूह को ट्रांसफर करने होंगे. वहीं ओपन ऑफर से अगर अडानी समूह 26 फीसदी शेयर खरीदने में सफल रहा तो वह नवंबर से पहले ही एनडीटीवी का बहुलांश शेयरहोल्डर बन जाएगा.