एक बार फिर आम आदमी पर पड़ी महंगाई की मार, इन जरूरी चीजों की बढ़ी दाम

कितना भी कमाइए, महंगाई इतनी है कि पैसे भाप की तरह उड़ रहे हैं. हफ्ते भर में ही महीने का बजट खत्म हो जा रहा है

Update: 2021-07-05 06:28 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कितना भी कमाइए, महंगाई इतनी है कि पैसे भाप की तरह उड़ रहे हैं. हफ्ते भर में ही महीने का बजट खत्म हो जा रहा है, जिससे लोग परेशान हैं. बिना सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर की कीमतें बढ़ गई हैं. डीजल-पेट्रोल का क्या हाल है हम सब जानते हैं. कई जगहों पर पेट्रोल 100 रुपये के पार पहुंच गया और आम आदमी की रसोई का बजट बिगड़ गया है. अब हर छोटी-बड़ी चीज खरीदने से पहले दूर की सोचनी पड़ती है.

चाय की रंगत फीकी पड़ गई है. तड़के में जायका नहीं आ रहा और बच्चों की फरमाइश ठंडी पड़ गई है. अब रसोई मन के मुताबिक नहीं चलती, अब जेब का गणित लगाया जाता है.
मुंबई के कांदिवली इलाके में रहने वाली रविका दुग्गल पेशे से एक गायिका है और व्यापारी हैं. उन्होंने बताया कि हर इंसान इसे अफोर्ड नहीं कर पा रहा. महंगाई का टॉर्चर ऐसा है कि हफ्ते भर की सब्जियां घर में अगर रखी भी हैं तो खाने से पहले गणित लगाना पड़ता है.
रसोई चाहे मुंबई की हो या राजस्थान की, महंगाई ने हरी-भरी थाली को खाली सा कर दिया है. कोटा की रहने वाली पूजा ने बताया कि पहले जो खर्च 5-6 हजार रुपये में चल रहा था वो अब 10 हजार तक पहुंचा गया है. गैस सिलेंडर मंहगा है, दालें महंगी हैं, सब्जियां महंगी हैं और तेल की तो पूछिए ही मत. सबकुछ बजट से बाहर जा रहा है.
घर की रसोई में जो सामान पहुंच रहा है, सब्जियां आ रही हैं, उन्हें अब आप चाहे लोकल मार्केट से खरीदिए या फिर मंडी से, हर बार आपको दाम बढ़े ही मिलेंगे. मंडी जाकर भी कोई खास बचत नहीं हो रही हैं. हाल ये है कि एक शख्स जोड़-तोड़ कर अगर महीने के 10 हजार रुपये कमाता है तो या तो वो एक वक्त की सब्जी ही जुटा पाएगा या फिर बच्चे की फीस भर पाएगा.
खाने के तेल के दाम 200 रुपये प्रति लीटर और रसोई गैस इतनी मंहगी कि एक 14 किलो के सिलेंडर के लिए करीब साढ़े 800 रुपये जेब से जा रहे हैं. पेट्रोल की कीमत 100 रुपये लीटर हो गई है और इसकी सबसे ज्यादा मार आम जनता पर पड़ रही है. लाने ले जाने की कीमत बढ़ी. लागत में इजाफा हुआ और सुई से लेकर सब्जी तक सब महंगा हो गया.
क्या है मंडी का हाल?
दिल्ली की एक मंडी में आए शख्स ने बताया कि बेटे को नहीं पढ़ा पा रहा. 10 हजार सैलरी है सब्जी लेने आया हूं. कुछ भी 40 रुपये से कम में नहीं है. किराया देकर आ रहे हैं. गाड़ी बंद कर दी है. बजट मैनेज नहीं हो पा रहा है. सब्जी व्यापारी की भी आफत है और खरीदने वालों के ऊपर तो तलवार है ही, लेकिन फल, सब्जी, दालें और तेल ये ऐसी चीजें हैं, जिनके बिना गुजारा नहीं किया जा सकता है.
मंडी हो या खुदरा बाजार, महंगाई आम आदमी के माथे का शिकन बन गई है. हर दिन इस चिंता में गुजरता है कि आने वाला दिन कैसे बीतेगा क्योंकि कमाई आधी और खर्चा कई गुना बढ़ गया है.
इस बीच कोई केंद्र सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है तो कोई राज्य सरकार को. लेकिन कुल मिलाकर इसकी मार तो आम आदमी ही झेल रहा है. कोरोना संकट के बाद सरकार ने देश का बजट तो बना दिया लेकिन घरों का बजट बिगड़ गया है. रसोई गैस की कीमतें करीब साढ़े 800 रूपये तक पहुंच गई हैं, किचन में खाना बनाना महंगा पड़ रहा है. दिल्ली में 14.2 किलोग्राम वाले LPG सिलेंडर की कीमत 834.50 रुपये, मुंबई में 834.50 रुपये, चेन्नई में 850.50 रुपये और कोलकाता में 861 रुपये है.


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