अब सरकार से प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियां एसएमएस के लिए मांग रही है रुपये, जाने मामला
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन (COA- Cellular Operators Association) के आंकड़ों के मुताबिक, एयरटेल, वोडाफोन और जियो मिलकर हर महीने 45 करोड़ से ज्यादा ऐसे मैसेज लोगों को भेजती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्राइवेट टेलीकॉम ऑपरेटर्स (Private Telecom Operators) ने आम लोगों को सोशल अवेयरनेस के लिए भेजे जाने वाले एसएमएस का पैसा सरकार से मांगा है. मौजूदा वक्त में कंपनियां ऐसे SMS के लिए कोई पैसा नहीं लेती हैं. सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन (COA- Cellular Operators Association) के आंकड़ों के मुताबिक, एयरटेल, वोडाफोन और जियो मिलकर हर महीने 45 करोड़ से ज्यादा ऐसे मैसेज लोगों को भेजती है.
दूरसंचार ऑपरेटरों ने मिलकर सरकार से पर जागरूकता के लिए दी जाने वाली एसएमएस सेवाओं के लिए मुआवजा देने को कहा है. इन कंपनियों का कहना है कि उनके लिए यह सेवा काफी महंगी पड़ती है. इस तरह के मैसेज कॉमन अलर्टिंग प्रोटोकॉल यानी सीएपी के तहत आते हैं. सरकार दूरसंचार कंपनियों से जनता के बीच कोई विशेष संदेश पहुंचाने और जागरूकता फैलाने के लिए ये सेवा लेती है.
आपको बता दें कि हाल में दूरसंचार नियामक ट्राई (TRAI) ने दूरसंचार ऑपरेटरों को सभी मोबाइल ग्राहकों के लिए नंबर समान रखते हुए कंपनी बदलने' (पोर्टेबिलिटी) को लेकर एसएमएस सुविधा तत्काल प्रभाव से लागू करने को कहा है.
यह सुविधा सभी मोबाइल फोन यूजर्स के लिए देने को कहा गया है, भले ही उन्होंने कितनी भी राशि का रिचार्ज क्यों नहीं कराया हो. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का नेटवर्क पोर्टेबिलिटी को लेकर यह कड़ा संदेश महत्वपूर्ण है.
क्या है मामला
कोरोना महामारी के दौरान कोवि़ड की रोकथाम, टीकाकरण और सुरक्षा संबंधी सावधिनयों के लिए इस सेवा का खूब इस्तेमाल किया गया है. दूरसंचार कंपिनयों इसका सरकार से कोई शुल्क नहीं लिया है.
इंडस्ट्री के मुताबिक, विशिष्ट बल्क मैसेजिंग की लागत 18 पैसे प्रति एसएमएस तक आती है. इसमें दो पैसे प्रति एसएमएस टर्मिनेशन चार्ज और पांच पैसे प्रमोशनल एसएमएस चार्ज भी शामिल है.
इस मामले में दूरसंचार नियामक ट्राई की ओर से जारी परामर्श पत्र के जवाब में उद्योग की प्रमुख कंपनी जियो का कहना है कि दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को गैर आपदा से जुड़े एसएमएस भेजने के लिए खर्चा देना चाहिए.
इसके लिए 10 पैसे प्रति मैसेज की दर तय टैरिफ तय किया जाना चाहिए. इस व्यवस्था से कंपनियों को लागत की भरपाई करने में मदद मिलेगी.
भारती एयरटेल का कहना है कि दूरसंचार एकमात्र ऐसा सेक्टर है जो आपदाओं के दौरान मुफ्त सेवाएं प्रदान करता है. साथ ही आपदाओं के दौरान दूरसंचार ढांचा सबसे ज्यादा प्रभावित होता है.