नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की हर दो महीने पर होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा के लिए बैठक संपन्न हो चुकी है और आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसके नतीजों का ऐलान कर दिया है. रिजर्व बैंक ने लोगों को ईएमआई पर और राहत न देते हुए ब्याज दरों को यथावत रखने का ऐलान किया है. यानी रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) आज यानी 8 दिसंबर को अपनी चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश किया है. रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब महामारी से निपटने के लिए बेहतर रूप से तैयार है.
रिजर्व बैंक ने इस वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी ग्रोथअनुमान 9.5 फीसदी बरकरार रखा है. कई जानकारों ने पहले ही यह कहा था कि अर्थव्यवस्था में रिकवरी को और मजबूत करने के लिये रिजर्व बैंक दरों में बढ़ोतरी या कमी करने को लेकर कुछ और इंतजार कर सकता है. रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक 6 दिसंबर को शुरू हुई थी.
शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई हमारे पहले के अनुमान के मुताबिक ही है. रबी की अच्छी फसल होने की वजह से आगे कीमतें कम होंगी. सब्जियों की कीमत में भी कमी आ सकती है. इस वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में महंंगाई पीक पर जाएगी, लेकिन उसके बाद इसमें नरमी आएगी.
अर्थशास्त्रियों और बाजार विशेषज्ञों की इस बारे में राय है थी कि आरबीआई अगली बैठक तक वेट ऐंड वॉच (Wait and Watch) की रणनीति अपना सकता है. नाइट फ्रैंक इंडिया (Knight Frank India) की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा (Economist Rajani Sinha) का मानना था कि इस बैठक में रिजर्व बैंक दरों को स्थिर बनाए रख सकता है.
गौरतलब है कि रेपो दरें अप्रैल 2001 के बाद से सबसे निचले स्तर 4 फीसदी पर हैं और रिवर्स रेपो दरें 3.35 प्रतिशत हैं. रेपो दर वह रेट होती है जिस पर रिजर्व बैंक से बैंकों को कर्ज मिलता है. दूसरी तरफ, रिवर्स रेपो रेट इसका उलटा होता है यानी रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जो बैंकों को रिजर्व बैंक के पास अपना पैसा रखने पर ब्याज मिलता है.