नई दिल्ली: यात्रियों को सुविधाजनक, आरामदायक और सुरक्षित रेल सेवा मुहैया कराने वाली भारतीय रेल (Indian Railways) माल लदान में भी नए रिकॉर्ड बना रही है. सस्ते किराए, सुगम परिवहन और निर्धारित समय पर सुरक्षित डिलीवरी करते हुए भारतीय रेल लगातार अपनी आय में भी बढ़ोतरी कर रही है. व्यापार और उद्योग जगत के साथ सतत् सम्पर्क और सार्थक संवादों के परिणामस्वरूप भारतीय रेल का उत्तर रेलवे जोन (Northern Railway), मौजूदा वित्तीय वर्ष (Financial Year) में अपनी पिछली उपलब्धियों से बहुत आगे बढ़ गया है. इस वर्ष उत्तर रेलवे 60 मिलियन टन से भी ज्यादा प्रारम्भिक लदान क्लब में शामिल हो गया है. जबकि इस वर्ष के तकरीबन 34 दिन अभी भी शेष हैं.
ऊंचे लक्ष्यों की ओर बढ़ रहा है उत्तर रेलवे
उत्तर रेलवे के लिए यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है. उत्तर रेलवे अभी और ऊंचे लक्ष्यों की ओर बढ़ रहा है. उत्तर रेलवे वित्तीय वर्ष 2019-2020 से 2020-2021 तक प्रारम्भिक लदान में साल दर साल लगभग 18 फीसदी की बढ़ोतरी हासिल करने की उम्मीद कर रहा है.
उत्तर रेलवे ने वर्ष 2021-2022 में अपने मालभाड़ा को भी बेहतर बनाए रखा है, जिससे इस वित्तीय वर्ष में भी भारतीय रेलवे के लदान में शानदार बढ़ोतरी हुई है. अम्बाला-मुरादाबाद-आलमनगर-पण्डित दीन दयाल उपाध्याय रूट पर मालभाड़ा में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखने को मिली है, जिससे पूर्व-मध्य रेलवे पर कोयला लदान के लिए खाली बॉक्स-एन वैगन मिलने में मदद मिली है.
उत्तर रेलवे ने माल भाड़े से कमाए 7891 करोड़ रुपये
इस वित्तीय वर्ष में भी पिछले सभी रिकॉर्डों को पार कर लिया गया है. मूल मालभाड़ा आय पिछले वर्ष जनवरी महीने के अंत तक 7045 करोड़ रुपये से बढ़कर 7891 करोड़ रुपये हो गई है. रेलवे बोर्ड द्वारा दिए गए 9500 करोड़ रुपये के निर्धारित लक्ष्य को उत्तर रेलवे पूरा करने की दिशा में अग्रसर है.
उत्तर रेलवे पीस मील लदान की सेवा प्रदान कर छोटे उपयोगकर्ताओं को सुविधा प्रदान करने में सफल रही है और इस लदान को व्यापार माला और संचय माला रेलगाड़ियों के द्वारा शीघ्रता से लाना-ले जाना सुनिश्चित कर रही है. उत्तर रेलवे कागज, गुड़, साबुन, फिटकरी, एफएमसीजी मदों जैसे नए माल का रेलगाड़ियों के माध्यम से कम कीमत पर रिकॉर्ड समय में परिवहन कर रही है.