मस्टर्ड ऑयल प्रोड्यूसर एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने तिलहन पर स्टॉक सीमा हटाने की मांग की

Update: 2022-10-11 12:58 GMT

दिल्ली: मस्टर्ड ऑयल प्रोड्यूसर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मोपा) ने मंगलवार को सरकार से तेल और तिलहन पर लागू भंडारण सीमा हटाने और वायदा कारोबार को फिर शुरू करने की मांग की। प्मोपा के संयुक्त सचिव अनिल चतर , सुरेश नागपाल और हेमंत गोयल ने कहा कि पिछले तीन वर्षों से सरकार किसानों को खाद्य तेल तिलहन मार्केट को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अधिक उत्पादन करने का अनुरोध कर रही है । उसकी अपील पर देश के किसानों ने बड़े पैमाने पर सरसों और अन्य तिलहन का उत्पादन भी किया, जिसके कारण देश में खाद्य तेलों का आयात 150 लाख टन से घटकर 135 लाख टन पर आ गया। इससे हम आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़े।

चतर ने कहा कि खाद्य तेलों के भाव चार महीने में 40 से 45 फीसदी घटकर कोरोना महामारी के पहले स्तर पर पहुंच गया। परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं को अब सस्ते भाव पर खाद्य तेल उपलब्ध हो रहा है। मगर किसानों को यदि तिलहन का उचित भाव नहीं मिलता है तो ऐसे में फिर कहीं आयात की नौबत ना आ जाए। इससे प्रधानमंत्री के तिलहन के क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के सपने की मुहिम को धक्का लगेगा।

आज तेल तिलहन पर स्टॉक सीमा की वजह से उद्योग एवं व्यापार जगत डरा हुआ सा है। कई उद्योग बंद पड़ने लगे हैं। इसलिए यह जरूरी है कि भारतीय वायदा व्यापार में खाद्य तेल, तिलहन को प्रतिबंधित नहीं किया जाए। इससे विदेशी बाजारों में तेजी आएगी जिससे हमारा भारतीय बाजार प्रभावित होगा। गौरतलब है कि कोरोना काल में लॉकडाउन की वजह से सप्लाई चेन में बाधा आई। केंद्र सरकार ने इस बाबत निरंतर प्रयास भी किए लेकिन परिणाम आशानुरूप नहीं रहे। उन्होंने कहा कि वायदा बाजार तो खाद्य तेलों में स्थिरता प्रदान करने का हथियार है और सट्टेबाजी रोकने में अहम भूमिका निभाता है।

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