मुकेश अंबानी भारत को इलेक्ट्रॉनिक हब बनाने की तैयारी में, रिलायंस ने सनमीना से मिलाया हाथ

Update: 2022-03-03 07:50 GMT

भारत में इलेक्ट्रॉनिक हब बनाने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कमर कस ली है। आरआईएल की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी रिलायंस स्ट्रेटेजिक बिजनेस वेंचर्स लिमिटेड (आरएसबीवीएल) और सनमीना कॉर्पोरेशन ने इसके लिए एक संयुक्त उद्यम बनाने की घोषणा की है। इस करार के तहत सनमीना की मौजूदा भारतीय यूनिट में रिलायंस 1670 करोड़ रुपये का निवेश करेगा।

रिलायंस के पास 50.1% हिस्सेदारी: इस संबंध में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, सयुंक्त उद्यम में रिलायंस के पास 50.1 प्रतिशत की हिस्सेदारी होगी, जबकि शेष 49.9 फीसदी सनमीना के पास रहेगा। इसका प्रबंधन सनमीना कॉरर्पोरेशन की टीम के हाथों में होगा। रिपोर्ट में कहा गया कि संयुक्त उद्यम संचार नेटवर्किंग जैसे 5जी, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर, हाइपरस्केल डाटासेंटर को प्राथमिकता देगा। साथ ही स्वास्थ्य प्रणालियों, औद्योगिक और रक्षा तथा एयरोस्पेस जैसे उद्योगों के लिए हाई टेक्नॉलॉजी हार्डवेयर बनाएगा। दोनों कंपनियों ने इसे प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की 'मेक इन इंडिया' पहल के अनुरूप बताया है।


रिपोर्ट में कहा गया कि दोनों कंपनियों का संयुक्त उद्यम सनमीना के मौजूदा ग्राहकों को पहले की तरह सेवाएं देता रहेगा। इसके साथ ही एक अत्याधुनिक मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किया जाएगा, जो भारत में प्रोडक्ट डेवलेपमेंट और हार्डवेयर स्टार्ट-अप के इको-सिस्टम को बढ़ावा देगा। आरएसबीवीएल यह स्वामित्व मुख्य रूप से सनमीना की मौजूदा भारतीय इकाई में नए शेयरों में 1,670 करोड़ रुपये तक के निवेश के माध्यम से प्राप्त करेगी। इस निवेश से सनमीना को अपना व्यापार बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: संयुक्त उद्यम सभी निर्माण शुरू में चेन्नई में सनमीना परिसर में किए जाएंगे और आने वाले समय में विस्तार की योजना है। सनमीना के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी जुरे सोला ने कहा कि हम भारत में इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग कंपनी बनाने और रिलायंस के साथ साझेदारी को लेकर बेहद उत्साहित हैं। वहीं इस करार पर रिलायंस जियो के निदेशक आकाश अंबानी ने कहा कि भारत के विकास और सुरक्षा के लिए आत्मनिर्भर होना आवश्यक है। दूरसंचार, आईटी, डेटा सेंटर, क्लाउड, 5जी, न्यू एनर्जी और अन्य उद्योगों की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भरता जरूरी है क्योंकि हम एक नई डिजिटल अर्थव्यवस्था में आगे बढ़ रहे हैं। इस साझेदारी के माध्यम से हम भारतीय और वैश्विक मांग को पूरा करते हुए भारत में इनोवेशन और प्रतिभा को बढ़ावा देने की योजना बना रहे हैं।

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