मुकेश अंबानी, नीदरलैंड की टेलीकॉम कंपनी को खरीदने की प्लानिंग, जाने बाते
अगर रिलायंस इंडस्ट्रीज T-Mobile नीदरलैंड की खरादारी करती है तो उसे करीब 5.9 बिलियन डॉलर देने होंगे क्योंकि टी-मोबाइल के लिए इतना दाम लगाया गया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश के सबसे अमीर बिजनेसमैन और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने नीदरलैंड की टेलीकॉम कंपनी T-Mobile को खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं. इसके लिए वे एडवाइजर के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और T-Mobile के के कीमत का आकलन कर रहे हैं.
अपनी पहचान न जाहिर करने के शर्त पर इससे जुड़े कुछ लोगों ने बताया कि डॉयचे टेलीकॉम AC के नीदरलैंड की सहायक कंपनी अपने सब्सिडियरी T-Mobile को करीब 5 बिलियन यूरो (5.9 बिलियन डॉलर या 43 हजार करोड़ रुपये) में बेचना चाहती है. इसका मतलब है कि अगर दोनों कंपनियां इस डील पर राजी होती हैं तो रिलायंस इंडस्ट्रीज को T-Mobile को खरीदने के लिए करीब 43 हजार करोड़ रुपये देने होंगे.
Reliance और T-Mobile के डील पर विचार-विमर्श जारी
इस डील पर अभी विचार-विमर्श किया जा रहा है कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और इस बारे में भी अभी कोई पुष्टि नहीं हुई है कि रिलायंस औपचारिक प्रस्ताव के साथ आगे बढ़ने का फैसला करेगी या नहीं. हालांकि टेलीकॉम ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. वहीं रिलायंस की ओर से भी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
ब्लूमबर्ग न्यूज ने पिछले महीने रिपोर्ट किया था कि डॉयचे टेलीकॉम अपने बिजनेस को बेचने के लिए मॉर्गन स्टेनली के साथ काम कर रहा है जिसमें एपेक्स पार्टनर्स, अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट इंक, बीसी पार्टनर्स, प्रोविडेंस इक्विटी पार्टनर्स और वारबर्ग पिंकस सहित कई प्राइवेट इक्विटी फर्म्स ने इंट्रेस्ट दिखाया है.
रिलायंस के कारण T-Mobile के प्रतिद्वंदी के शेयर में आई गिरावट
बायआउट फर्म्स को ऐसे एसेट्स के लिए तैयार किया जाता है क्योंकि वे अंतर्निहित बुनियादी ढांचे का नियंत्रण हासिल कर सकते है जो स्थिर लॉन्ग-टर्म रिटर्न देते हैं. मई में डच टेलीकॉम ग्रुप रॉयल केपीएन एनवी ने कहा कि उसने इन्वेस्टमेंट फर्म EQT AB और स्टोनपीक इन्फ्रास्ट्रक्चर पार्टनर्स के हाई-लेवल अप्रोच को खारिज कर दिया था. रिलायंस द्वारा इसके प्रतिद्वंदी के लिए बोली लगाने के विचार के कारण मंगलवार को एम्सटर्डम में केपीएन के शेयर 4.7 प्रतिशत तक गिरकर तीन सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंच गए.
मार्केट वैल्यू के लिहाज से रिलायंस भारत की सबसे बड़ी मार्केट वैल्यू वाली कंपनी है जो ऑयल रिफाइनिंग, पेट्रोकेमिकल, रिटेल और टेलीकम्यूनिकेशंस तक फैली हुई है. ऐसे में रिलायंस द्वारा टी-मोबाइल नीदरलैंड की खरीदारी करना एक यूरोप में एक दुर्लभ खरीद का प्रतिनिधित्व करेगा.
बता दें कि डॉयचे टेलीकॉम बेलगाकॉम एसए और टेली डेनमार्क में हिस्सेदारी हासिल करते हुए 2000 में डच मोबाइल फोन मार्केट में एंट्री की थी. जर्मन करियर द्वारा बचे हुए हिस्से की खरीदारी करने के बाद 2003 में इसका नाम बदलकर T-Mobile नीदरलैंड कर दिया गया था.