बड़े बदलाव करने की तैयारी में भारत सरकार, जीएसटी के हो जाएंगे 5 साल, 4 के बदले होंगे 3 टैक्स स्लैब
नई दिल्ली: मोदी सरकार (Modi Govt) के आने के बाद जो कुछ बड़े बदलाव देखने को मिले हैं, जीएसटी (GST) उनमें से एक है. कुछ ही महीने बाद जीएसटी व्यवस्था के 5 साल पूरे होने वाले हैं. इससे पहले जीएसटी प्रणाली में अब तक का सबसे बड़ा बदलाव करने की तैयारी चल रही है. इन बदलावों में टैक्स स्लैब (GST Tax Slab) में कमी, दरों के ब्रैकेट (GST Bracket) में बदलाव, राज्यों को मिलने वाली क्षतिपूर्ति (GST Compensation) का बंद होना आदि शामिल है.
इनडाइरेक्ट टैक्स व्यवस्था को आसान बनाना था टारगेट
संसद में जीएसटी एक्ट (GST Act) को 29 मार्च 2017 को पारित किया गया था. इसके बाद सरकार ने 01 जुलाई 2017 से इस नई व्यवस्था को लागू किया. इस बदलाव के तहत पहले से मौजूद एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty), वैल्यू ऐडेड टैक्स (VAT) और सर्विस टैक्स (Service Tax) जैसे इनडाइरेक्ट टैक्सेज (Indirect Taxes) को मिलाकर सिंगल इनडाइरेक्ट टैक्स बनाया गया. इसके पीछे यह विचार था कि इनडाइरेक्ट टैक्स की व्यवस्था को सरल किया जाए. हालांकि अभी भी डीजल, पेट्रोल, शराब, एटीएफ समेत कई ऐसे प्रॉडक्ट हैं, जिन्हें अभी तक जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है.
जीएसटी को अभी भी जटिल बताते हैं कई एक्सपर्ट
दूसरी ओर कई व्यवसायी संगठन और टैक्स एक्सपर्ट बार-बार ये बात दोहराते आए हैं कि जीएसटी व्यवस्था अभी भी जटिल है. जीएसटी लागू होने के बाद इसमें अब तक कई बदलाव किए जा चुके हैं. लोगों की सबसे अहम डिमांड ये है कि जीएसटी के तहत टैक्स स्लैब की संख्या कम की जानी चाहिए. अभी जीएसटी के तहत 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी के 4 स्लैब हैं. सरकार भी इन्हें घटाकर 3 करना चाहती है.
स्लैब कम हुआ तो ये होगा नुकसान
अगर स्लैब की संख्या कम हुई तो दरों में भी बदलाव किया जाएगा. चूंकि सरकार का फोकस स्लैब घटाकर रेवेन्यू बढ़ाना है, तो उनमें से ज्यादातर सामानों पर टैक्स बढ़ जाएगा, जो समाप्त होने वाले स्लैब में हैं. इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि 5 फीसदी और 12 फीसदी के स्लैब को 1-1 फीसदी बढ़ाया जा सकता है. ऐसा हुआ तो सबसे छोटा स्लैब 6 फीसदी का हो जाएगा और इसमें आने वाले सारे सामान महंगे हो जाएंगे.
बंद हो जाएगी राज्यों की जीएसटी क्षतिपूर्ति
नई कर व्यवस्था लागू होने के बाद राज्यों के लिए क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया गया था. राज्यों को रेवेन्यू के मोर्चे पर नुकसान न उठना पड़े, इस लिए उन्हें हर महीने केंद्र सरकार से जीएसटी क्षतिपूर्ति दी जाती है. यह व्यवस्था जीएसटी लागू होने के बाद अगले 5 साल के लिए है. 01 जुलाई को जीएसटी लागू हुए 5 साल हो जाएंगे तो राज्यों को हर महीने मिलने वाली क्षतिपूर्ति भी बंद हो जाएगी. इस बदलाव से राज्यों को रेवेन्यू में कमी का सामना करना पड़ सकता है.
इस बैठक में सिफारिशों पर हो सकता है फैसला
खबरों के अनुसार, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई की अगुवाई में मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह की आगामी बैठक में इन बदलावों से संबंधित सिफारिशों को अंतिम रूप दिया जा सकता है. इसके बाद जब जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक होगी, तो उसमें इन सिफारिशों पर गौर किया जा सकता है. जीएसटी से जुड़ा कोई भी निर्णय करने का अधिकार काउंसिल के पास ही है.
2 सप्ताह में होने वाली है जीएसटी काउंसिल की बैठक
काउंसिल की अगली बैठक में कुछ प्रॉडक्ट और सर्विसेज पर टैक्स रेट में बदलाव भी किया जा सकता है. काउंसिल की पिछली बैठक दिसंबर 2021 में हुई थी. उस बैठक में टेक्सटाइल इंडस्ट्री के कुछ उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने का फैसला होल्ड कर लिया गया था. उसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि इस बारे में अभी और चर्चा करने की जरूरत है. अगली बैठक में इसपर निर्णय लिया जा सकता है. जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक फरवरी महीने के अंत में या मार्च महीने की शुरुआत में होगी.