मेटा ने iMessage का बनाया मजाक, कहा- नहीं मिलते WhatsApp के ये सिक्योरिटी फीचर्स

मेटा के वॉट्सऐप और ऐपल के iMessages सेवा, हमेशा एक-दूसरे के खिलाफ खड़ी रही हैं। जहां वॉट्सऐप केवल एक ऑपरेटिंग सिस्टम तक सीमित नहीं है, iMessage का उपयोग केवल Apple उपकरणों पर किया जा सकता है। पिछले कुछ सालों में WhatsApp को अनगिनत मौकों पर Apple के iMessage से अधिक सुरक्षित माना गया है।

Update: 2022-10-20 05:02 GMT

मेटा के वॉट्सऐप और ऐपल के iMessages सेवा, हमेशा एक-दूसरे के खिलाफ खड़ी रही हैं। जहां वॉट्सऐप केवल एक ऑपरेटिंग सिस्टम तक सीमित नहीं है, iMessage का उपयोग केवल Apple उपकरणों पर किया जा सकता है। पिछले कुछ सालों में WhatsApp को अनगिनत मौकों पर Apple के iMessage से अधिक सुरक्षित माना गया है। अब, जुकरबर्ग ने भी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का समर्थन नहीं करने के लिए iMessage पर तीखा हमला किया है, जो किसी भी थर्ड पार्टी को यूजर्स के व्यक्तिगत डाटा तक एक्सेस पाने से रोकता है।

फेसबुक पर शेयर की गई पोस्ट

तीन बबल की एक तस्वीर साझा करते हुए, जुकरबर्ग ने लिस्ट किया कि iMessage में कुछ प्रमुख विशेषताएं नहीं हैं, जिसमें डिसअपियरिंग चैट और एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन शामिल हैं जो WhatsApp के लिए iPhones और Android दोनों पर काम करते हैं।

जुकरबर्ग ने अपने लिखा कि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के साथ वॉट्सऐप iMessage की तुलना में कहीं अधिक निजी और सुरक्षित है, जो ग्रुप चैट सहित iPhone और Android दोनों पर काम करता है। वॉट्सऐप के साथ, आप एक बटन के टैप से सभी नई चैट को डिसअपियर करने के लिए भी सेट कर सकते हैं। पिछले साल हमने एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड बैकअप भी पेश किया था। जिनमें से कोई भी iMessage के पास अभी भी नहीं है।

iMessages का उड़ाया मजाक

मेटा ने iMessages के हरे और नीले बुलबुले का मजाक उड़ाते हुए एक पोस्टर लगाया था। पोस्टर में यूजर्स से अधिक सुरक्षित मैसेजिंग अनुभव के लिए वॉट्सऐप का विकल्प चुनने का भी आग्रह किया गया है। iMessage को हाल के दिनों में कोई बड़ा अपडेट नहीं मिला है, लेकिन वॉट्सऐप यूजर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के लिए लगातार सेफ्टी फीचर्स की टेस्टिंग कर रहा है।

Google ने भी Apple पर कसा था तंज

इससे पहले, Google ने शॉर्ट मैसेजिंग सेवाओं के उत्तराधिकारी RCS के लिए Apple पर ताना मारा था। कंपनी ने पहले एक प्रचार अभियान शुरू किया था ताकि ऐपल पर RCS को अपनाने के लिए दबाव डाला जा सके। इससे एंड्रॉयड और iOS के बीच टेक्स्टिंग को आसान बनाया जा सके। Google ने एक नई "गेट द मैसेज" वेबसाइट भी पेश की है जो उन मुद्दों को बताती है जो मौजूद हैं क्योंकि Apple ने RCS मैसेजिंग प्रोटोकॉल को अपनाने से इनकार कर दिया था।

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