नई दिल्ली: चीनी स्मार्टफोन मैन्युफैक्चर्स ने भारतीय बाजार में अपनी धाक जमा ली है. आंकड़ों की मानें तो चीनी कंपनियां ना सिर्फ भारतीय बाजार बल्कि ग्लोबल मार्केट में भी हावी हैं. पिछले 6 सालों में भारतीय स्मार्टफोन ब्रांड्स का मार्केट शेयर गिरकर 1 परसेंट पर पहुंच गया है, जबकि चीनी ब्रांड्स का वॉल्यूम और मार्केट शेयर 99 परसेट बढ़ा है.
साल 2015 में भारतीय ब्रांड्स का मार्केट शेयर लगभग 68 फीसदी थी, जबकि चीनी ब्रांड्स सिर्फ 32 परसेंट पर ही सीमित थे. वैल्यू की बात करें तो चीनी फोन्स का भारत में 65 फीसदी मार्केट पर कब्जा है. हालांकि, Lava और Micromax जैसे भारतीय मैन्युफैक्चर्र्स ही नहीं बल्कि सैमसंग को भी चीनी ब्रांड्स से टक्कर मिल रही है.
काउंटरपॉइंट की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में भारतीय स्मार्टफोन बाजार में सैमसंग की हिस्सेदारी 24 परसेंट से घटकर 17 परसेंट ही रह गई है. कुछ साल पहले तक सैमसंग का मिड रेंज से लेकर प्रीमियम सेगमेंट तक में दबदबा था, लेकिन आज वह भारतीय बाजार में शाओमी के बाद आता है. वहीं Realme और OnePlus जैसे ब्रांड्स तेजी से ऊपर आ रहे हैं. ग्लोबल मार्केट में सैमसंग की हिस्सेदारी अभी भी 20 परसेंट है.
चीनी स्मार्टफोन ब्रांड्स ने कम कीमत में बेहतर स्पेसिफिकेशन्स वाले फोन्स ऑफर करके दूसरे प्लेयर्स को मार्केट से बाहर कर दिया है. हालांकि, इस गेम में उन्हें भी नुकसान हुआ है, लेकिन वह लगातार कम कीमत में हाई-स्पेक्स वाले डिवाइस ला रहे हैं. वित्त वर्ष 2020 में ओप्पो का घाटा लगभग 2 हजार करोड़ रुपये रहा, जबकि Vivo का घाटा 300 करोड़ रुपये रहा था.
चीन और भारत के बीच बॉर्डर पर तनाव के चलते लोगों ने चीनी ब्रांड्स को बॉयकॉट करना शुरू किया, लेकिन इसका ज्यादा फर्क इन कंपनियों पर नहीं पड़ा. Techarc की स्मार्टफोन ट्रेड रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कुछ यूजर्स चीनी ब्रांड्स को बॉयकॉट भी करते हैं, तो उन्हें कोई दूसरा अल्टरनेटिव नहीं मिलेगा.