किसी भी पुरानी कार को खरीदने से पहले सही तरीके से उसकी जांच कर लें. ज्यादातर ऑटोमोबाइल कंपनियों ने सेकेंड हैंड कारों के लिए खुद के शोरूम खोल दिए हैं. अगर आप भी सेकेंड कार खरीदने पर विचार कर रहे हैं तो इसे आप कहीं से भी ले सकते हैं. पहली बात ध्यान रखें कि अपने पहचान के किसी अच्छे मैकेनिक से कार की जांज करवा लें. टेस्ट ड्राइव पर जाएं तो हर तरह की सड़कों पर कार को ड्राइव कर जांच करें. Also Read - Nissan will sell secondhand cars in India | भारत में सेकेंड हैंड कारें बेचेगी निसान, चलाएगी एक्सचेंज ऑफर
गाड़ी को स्टार्ट कर न्यूट्रल गियर पर छोड़ दें और अंदर बैठखकर केबिन में आने वाली आवाज और वाइब्रेशन पर ध्यान दें. इसके बाद एक्सीलेटर को कम और ज्यादा करते हुए विंडो खोलकर और बंदकर आने वाली आवाज सुनें. अगर किसी भी तरह का एक्सट्रा नॉइज और वाइब्रेशन महसूस हो तो कार डीलर से बात करें. कार खरीदते समय जब टेस्ट ड्राइव की बात हो तो छोटी दूरी की टेस्ट ड्राइव की जगह थोड़ा टाइम लेकर कम से कम 50 किलोमीटर की टेस्ट ड्राइव जरूर लें और हर तरह के रास्तों पर चलाएं. पुरानी कार खरीदते वक्त गाड़ी के साइलेंसर से निकलने वाले धुंए के रंग पर ध्यान दें. यदि धुंऐं का रंग नीला, काला है तो इंजन में किसी खराबी के कारण हो सकता है. इसके अलावा इंजन में ऑयल लीकेज की समस्या भी हो सकती है. टेस्ट ड्राइव के दौरान ध्यान रखें कि दें कि कुछ जलने जैसी बदबू तो नहीं आ रही है क्योंकि हो सकता है कि यह ऑयल या वायर जलने की कोई बदबू हो. इंजन की जांच करने के लिए किसी अच्छे मैकेनिक को जरूर दिखा लें.
यदि आप कोई ऐसी कार या मॉडल सेलेक्ट कर रहे हैं जो काफी ज्यादा इलेक्ट्रिक है तो उसके सभी स्विच और फंक्शन को इस्तेमाल कर देख लें क्योंकि एक छोटी सी इलेक्ट्रिकल खराबी बड़ी समस्या हो सकती है और दूसरी बात इससे आप यह भी जान पाएंगे कि कार की वायरिंग ठीक से काम कर रही है या नहीं. दरअसल वायरिंग महंगी भी पड़ती है और इसकी कमी कई बार पकड़ में आनी मुश्किल होती है. किसी भी पुरानी कार को खरीदने से पहले उसके डॉक्यूमेंट्स की जांच करना बहुत जरूरी है. कार का बीमा मूल्य, बीमा की तारीख आदि देख लें. इससे आपको कार की सही कीमत का अंदाजा लग जाएगा. क्योंकि कार के बीमा के पेपर में कार IDV वैल्यू दी गई होती है और उसके आधार पर आप कार का दाम और कम भी करवा सकते हैं. इसके अलावा पिछले 2-3 साल में नो क्लेम बोनस ट्रैक करें. इससे आपको गाड़ी के एक्सीडेंट या किसी अन्य वजह से मरम्मत और रख रखाव पर होने वाले खर्च की जानकारी मिलेगी. यदि आप चाहते हैं कि पता करें कि कार का कभी पहले एक्सीडेंट हुआ है या फिर क्या स्थिति हैं तो नो क्लेम बोनस भी चेक कर आप काफी कुछ जान सकते हैं.