चीन | साथ ताइवान के बढ़ते तनाव के बीच इस स्वशासित द्वीप के शीर्ष नीति निर्माताओं ने कहा है कि प्रमुख ताइवानी प्रौद्योगिकी कंपनियां अपना जोखिम कम करने के लिए अपने विनिर्माण केंद्रों को भारत में स्थानांतरित करने पर विचार कर रही हैं। ताइवान के राष्ट्रीय विकास उप मंत्री काओ शिएन-क्यू ने कहा कि सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के विनिर्माण सहित उभरती और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में नई दिल्ली और ताइपे के बीच सहयोग की बहुत अधिक गुंजाइश है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों के एक समूह के साथ बातचीत में कहा कि ताइवान की प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियां अपनी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए भारत को एक प्रमुख गंतव्य के रूप में देख रही हैं।चुंग-हुआ इंस्टीट्यूशन ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च में स्थित प्रमुख थिंक-टैंक ताइवान आसियान अध्ययन केंद्र की निदेशक क्रिस्टी त्सुन-त्जु सू ने भारत को ताइवान के लिए एक महत्वपूर्ण देश बताया।
उन्होंने कहा कि चीन में काम करने वाली ताइवानी कंपनियां अपने स्थानीय ग्राहकों को बनाए रखते हुए भारत में आपूर्ति श्रृंखला की स्थापना करना चाह रही हैं। बीजिंग के साथ वाशिंगटन के व्यापार विवाद और ताइवान के आसपास चीनी सेना की बढ़ती मौजूदगी के कारण प्रमुख ताइवानी कंपनियां अपने उत्पादन केंद्रों को चीन से यूरोप, अमेरिका और भारत जैसे देशों में स्थानांतरित करने पर विचार कर रही हैं। भारत दुनिया के सबसे बड़े चिप विनिर्माता ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉरपोरेशन (टीएसएमसी) सहित प्रमुख ताइवानी चिप उत्पादकों की अपने यहां लाने का इच्छुक है। टीएसएमसी के ग्राहकों में एप्पल भी शामिल है।शिएन-क्यू ने कहा, मुझे यकीन है कि सेमीकंडक्टर और सूचना तथा संचार उद्योग के क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच सहयोग तेजी से बढ़ेगा। जानकारी के मुताबिक बड़ी संख्या में ताइवानी कंपनियां भारत में दो औद्योगिक पार्कों में उत्पादन केंद्र स्थापित करने जा रही हैं।
इन पार्कों को विशेष रूप से ताइवानी कंपनियों के लिए तैयार किया जा रहा है। त्सुन-त्जु सू ने कहा, यह केवल व्यापार के बारे में नहीं है। इसका संबंध रणनीतिक सहयोग से अधिक है। हमारी कंपनियां अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की शुरुआत से पहले ही भारत जाने पर विचार कर रही थीं, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था इतनी बड़ी है कि यह ताइवान को बदलाव के लिए कुछ अवसर दे सकती है। उन्होंने कहा कि ताइवान सरकार भारत के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत करने की कोशिश कर रही है। ताइवान स्थित फॉक्सकॉन ने तमिलनाडु में एक आईफोन विनिर्माण संयंत्र स्थापित किया है और कंपनी अब कर्नाटक में एक और आईफोन उत्पादन संयंत्र स्थापित कर रही है। भारत और ताइवान के बीच द्विपक्षीय व्यापार तेजी से बढ़ रहा है और यह 2006 में दो अरब डॉलर से बढ़कर 2021 में 8.9 अरब डॉलर हो गया