नौ क्षेत्रों में रोजगार के ढेरों अवसर, तीन करोड़ से भी ज्यादा रोजगार मिले
श्रम मंत्रालय ने सोमवार को तिमाही रोजगार सर्वेक्षण में यह जानकारी दी. रोजगार में वृद्धि आर्थिक गतिविधियों में सुधार का संकेत है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश में विनिर्माण, शिक्षा समेत चुने गये नौ क्षेत्रों में जुलाई-सितंबर अवधि में कुल रोजगार की संख्या बढ़कर 3.10 करोड़ रही. यह पिछले साल की अप्रैल-जून तिमाही के मुकाबले दो लाख अधिक है. श्रम मंत्रालय ने सोमवार को तिमाही रोजगार सर्वेक्षण में यह जानकारी दी. रोजगार में वृद्धि आर्थिक गतिविधियों में सुधार का संकेत है.
कोरोना पाबंदियों के हटने के बाद बढ़े रोजगार के अवसर
पिछले साल अप्रैल में कोविड महामारी की दूसरी लहर की रोकथाम के लिये राज्यों ने पाबंदियां लगायी थीं. पाबंदियों के हटाये जाने के बाद आर्थिक गतिविधियां बढ़ने से रोजगार सृजित हुए. श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने तिमाही रोजगार सर्वेक्षण (क्यूईएस) को जारी किया. इसके मुताबिक, सितंबर, 2021 की तिमाही में रोजगार की संख्या 3.10 करोड़ रही. वहीं अप्रैल-जून, 2021 में नौ क्षेत्रों में कुल रोजगार की संख्या 3.08 करोड़ थी. छठी आर्थिक जनगणना (2013-14) में नौ क्षेत्रों में कुल रोजगार 2.37 करोड़ आंका गया था. तिमाही रोजगार सर्वेक्षण अखिल भारतीय तिमाही प्रतिष्ठान आधारित रोजगार सर्वेक्षण का हिस्सा है. ये नौ क्षेत्र विनिर्माण, निर्माण, व्यापार, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और रेस्तरां, आईटी / बीपीओ (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) और वित्तीय सेवाएं हैं. गैर-कषि क्षेत्रों में कुल रोजगार में इन क्षेत्रों की बहुलांश हिस्सेदारी है. यह इस कड़ी की दूसरी रिपोर्ट है.
रोजगार के आंकड़ों में हो रही लगातार वृद्धि
पहली रिपोर्ट अप्रैल-जून 2021 की थी. इस अध्ययन में 10 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों को शामिल किया गया. यादव ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि रोजगार के आंकड़े बताते हैं कि इसमें लगातार वृद्धि हो रही है. कुल रोजगार में महिला कामगारों की हिस्सेदारी 32.1 प्रतिशत रही. यह अप्रैल-जून तिमाही के पहले दौर के सर्वेक्षण के 29.3 प्रतिशत से अधिक है. मंत्रालय के बयान के अनुसार, चुने गये नौ क्षेत्रों में कुल रोजगार में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 39 प्रतिशत रही.
इन क्षेत्रों में भी बढ़ी नौकरियां
इसके बाद शिक्षा (22 प्रतिशत) और स्वास्थ्य के साथ आईटी/बीपीओ क्षेत्र (10-10 प्रतिशत) का स्थान रहा. व्यापार और परिवहन क्षेत्रों की हिस्सेदारी क्रमश: 5.3 प्रतिशत और 4.6 प्रतिशत रही. यादव ने कहा कि इन अध्ययनों से सरकार को कामगारों के लिये साक्ष्य आधारित नीति बनाने में मदद मिलेगी