टेस्ला के मालिक एलन मस्क कभी एक ट्वीट के बिटकॉइन के रेट अर्श पर पहुंचा देते हैं तो कभी दूसरे ट्वीट से फर्श पर ला पटकते हैं. यही कारण है कि हाल ही में उनके खिलाफ क्रिप्टोकरेंसी भी लॉन्च कर दी गई है. क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर में बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी ऐसी क्या चीज है जिसकी कीमत लॉन्च होते समय मात्र एक डॉलर (उस समय लगभग 50 रुपये) की थी और अब यह 50 लाख की वैल्यू रखता है. क्या आपके दिमाग में भी यह सवाल आते हैं कि आखिर में यह कौन सी टेक्नोलॉजी है जिससे कुछ दिनों में ही लाखों का फायदा होता है और चंद घंटों में सब डूब भी जाता है.
अगर क्रिप्टोकरेंसी के इस किस्से को सुन सुनकर आपका भी दिमाग मेरे जैसे चकरा रहा हो. बिटकॉइन, क्रिप्टोकरेंसी, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, अगर ये सारे शब्द आपके दिमाग के ब्रह्माण्ड में भी गोते लगा रहे हैं और तब भी आपको कुछ समझ नहीं आ रहा कि इसका ओर-छोर कहां है? तो चलिए एक छोटी सी कोशिश करते हैं इस उड़ती चिड़िया के पर गिनने की..
ऐसे हुआ बिटकॉइन का जन्म
शुरू से शुरू करते हैं और चलते हैं 2009 में जब दुनिया के सामने पहली बार बिटकॉइन नाम की पहेली आई. किसी को इस बारे में कुछ भी पता नहीं था कि आखिर ये है क्या. इससे पहले कि मैं आपको बिटकॉइन समझाऊं, आपको पहले क्रिप्टोकरेंसी को समझना होगा. क्रिप्टो ग्रीक भाषा का एक शब्द है जिसका मतलब होता है सीक्रेट यानी गुप्त और करेंसी का मतलब तो आप जानते ही हैं, 'मुद्रा'. यानी वो गुप्त मुद्रा जिसके बारे में किसी को पता ना हो. तो बिटक्वाइन वहीं गुप्त मुद्रा यानी क्रिप्टोकरेंसी या वर्चुअल करेंसी है जो केवल एक तकनीक का कमाल है लेकिन भौतिक तौर पर उपलब्ध नहीं है. इसको और अच्छे ढंग से कहें तो ये बिल्कुल उस भगवान की तरह है जिसको हम सब मानते हैं कि वो है, उसकी खूब पूजा आरती करते हैं लेकिन असल में आज तक भगवान को किसी ने नहीं देखा. मैंने तो नहीं देखा, आपने देखा क्या?
बिटकॉइन
इसकी कहानी 2008 के अमेरिकी वित्तीय संकट से शुरू हुई थी, जिसने पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लिया था. इस संकट की वजह से कुछ समय के लिए लोगों का बैंकों समेत वित्तीय संस्थानों से भरोसा उठ गया था. इसी वजह से दुनिया की पहली आजाद करंसी बिटकॉइन वजूद में आई. कहते हैं कि 2009 में जापान के एक वैज्ञानिक सातोषी नाकामोतो ने बिटकॉइन का अविष्कार किया था लेकिन इस बात का कोई पुख्ता प्रमाण आज तक नहीं मिला. कुछ लोगों के हिसाब से ये कोई एक शख्स नहीं बल्कि एक ग्रुप का नाम है जिसने इस नाम का कवर लिया हुआ है. अरे जैसे हॉलीवुड फिल्मों में होता है. नाम किसी का, काम किसी का. कुछ लोगों ने तो खुद के सातोषी होने का दावा किया लेकिन ये आज तक साबित नहीं हो पाया कि सातोषी नाकामोतो कोई है भी या नहीं..
कोई बैंक नहीं करता है इसको कंट्रोल
अब बारी है उस कमाल की तकनीक के बारे में जानने की जिसपर बिटकॉइन या दूसरी क्रिप्टो करेंसीज़ को बनाया गया है. इसका नाम है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी. ब्लॉक और चेन, इसके नाम में ही सारा खेल है. ऐसे समझ लीजिए कि ये एक ऐसा डेटाबेस है जिसमें लाखों ब्लॉक्स यानी कंप्यूटर्स चेन यानी इंटरनेट नेटवर्क से जुड़े हुए हैं और उन सब में हर ट्रांजैक्शन का डेटा सेव है. यानी कोई एक शख्स, अथॉरिटी या सरकार उस को कंट्रोल नहीं कर सकती. कोई हैक नहीं कर सकता या कुछ बदलाव नहीं कर सकता. इसीलिए बिटकॉइन को इतना सेफ माना जाता है क्योंकि इसपर किसी का नियंत्रण नहीं. दूसरे शब्दों में कहें तो बिटकॉइन का आजाद होना ही इसकी सबसे बड़ी खूबी है. रुपये, डॉलर या यूरो की तरह इसे कोई सेंट्रल बैंक (जैसे भारत में आरबीआई और अमेरिका में फेडरल रिजर्व बैंक) नियंत्रित नहीं करता इसलिए इसका ट्रेल पता नहीं लगाया जा सकता. जैसे बैंक आपके किसी भी ट्रांजैक्शन का पता चुटकियों में लगा सकता है इसीलिए दुनिया भर में गैरकानूनी लेनदेन का ये एक अहम जरिया बन गया है. आज बिटकॉइन में फिरौती मांगा जाना कोई नई बात नहीं रही.
बिटक्वॉइन
बिटकॉइन में लेन-देन कोड के जरिये होता है. अगर आपको बिटकॉइन खरीदने हैं तो आपको उसकी कीज़ (कोड्स) मिलेंगी जिसे दुनिया भर में फैले नेटवर्क में वेरीफाई किया जाएगा. जब आपको बिटकॉइन को बेचना होगा तो उस कोड को बेचना होगा जो इस बार नया होगा. वैसे आजकल कई सारे एक्सचेंज के ऐप भी मार्केट में हैं जो कमीशन पर ये काम करते हैं.
भारत में भी चल रही है इसको लेकर तैयारी
दुनिया में अभी फिलहाल करीब 200 क्रिप्टोकरेंसी चल रही हैं जिसमें बिटकॉइन, लाइटकॉइन, इथेरियम, ज़ेडकैश, स्टेलर ल्यूमैन प्रमुख हैं.. दुनिया के कई देशों में क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता मिली हुई है, लेकिन भारत में फिलहाल सरकार ने इसको मान्यता नहीं दे रखी है..
हालांकि सरकार के अंदर इसको लेकर मंथन जारी है. वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर इस विषय के एक्सपर्ट्स के साथ एक बैठक कर चुके है और जल्द ही इस अध्ययन करने के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी बनाई जा सकती है.
अब अगर आप भी इसमें निवेश करने का मन बना रहे हैं तो पहले इसके बारे में और कुछ जानिये और फिर तय कीजिए कि आपको क्या करना है. दुनिया में सिर्फ 21 मिलियन बिटकॉइन ही माइन किए जा सकते हैं और फरवरी 2021 तक करीब साढ़े 18 मिलियन बिटकॉइन माइन किए जा चुके हैं और माना जा रहा है 2140 तक आखिरी बिटकॉइन माइन कर लिया जाएगा.
क्या थी बिटकॉइन की शुरुआती कीमत
अब बात इसकी कीमत और निवेश की सुरक्षा की करते हैं. इसमें निवेश की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं. पिछले कुछ दिनों में हम सबने अपनी आंखों के सामने होते देखा है. जहां कुछ दिनों पहले एक बिटकॉइन की कीमत भारतीय करेंसी में 50 लाख के करीब पहुंच गई थी और एलन मस्क के ट्वीट और फिर चीन के झटके के बाद फिलहाल 28 से 30 लाख रुपये के बीच है. वहीं मात्र 10 साल पहले 2011 में एक बिटकॉइन की कीमत 1 डॉलर थी यानी इस वक्त के हिसाब से करीब 50 रुपये के आस-पास थी.