जानिए बैंकों की हड़ताल से देश में आम आदमी और कारोबारियों पर क्या होगा असर

बैंक संगठनों की दो दिवसीय हड़ताल में करीब 10 लाख बैंक कर्मचारी और अधिकारी शामिल हो सकते है।

Update: 2021-03-13 14:13 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | बैंक संगठनों की दो दिवसीय हड़ताल में करीब 10 लाख बैंक कर्मचारी और अधिकारी शामिल हो सकते है. AIBEA के साथ इस हड़ताल में आल इंडिया बैंक आफिसर्स कन्फेडरेशन (AIBOC), आल इंडिया बैंक आफिसर्स एसोसिएशन (AIBOA), नेशनल कन्फेडरेशन आफ बैंक इम्प्लॉइज (NCBE) और बैंक इम्प्लाइज कन्फेडरेशन आफ इंडिया (BEFI), नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स (NOBW) और नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक आफिसर्स (NOBO), नेशनल बैंक इम्प्लाइज फेडरेशन (INBEF), इंडियन नेशनल बैंक आफिसर्स कांग्रेस (INBOC) जैसे संगठन शामिल हैं. अब यहां पर एक सवाल ये उठता है कि बैंक हड़ताल से देश को कितना नुकसान होगा? आइए जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स…

2 दिन की हड़ताल पर बैंक कर्मचारी
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (UFBU) की ओर से 2 सरकारी बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में दो दिनों की हड़ताल बुलाई गई है. हड़ताल 2 दिन की है, लेकिन बैंक लगातार 4 दिन तक बंद रह सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि 13 मार्च को महीने का दूसरा शनिवार है और फिर 14 मार्च को रविवार है.
आखिर क्यों बैंक कर्मचारी कर रहे हैं हड़ताल
मनी9 की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा हड़ताल की वजह बैंकों के प्राइवेटाइजेशन को लेकर हो रही है. बैंक कर्मचारी संगठन और दूसरे मजदूर संगठन सररकार के इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं.
अब 15 और 16 मार्च को इसके विरोध में हड़ताल का ऐलान किया गया है. आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2021 को अपने बजट भाषण में कहा था कि दो सरकारी बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण किया जाएगा. इसके बाद से ही बैंक संगठन और कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं.
बैंक एंप्लॉयीज फेडरेशन ऑफ इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट जॉयदेब दासगुप्ता ने मनी9 को खास बातचीत में बताया कि सरकार के दो बैंकों के निजीकरण के फैसले के खिलाफ हम हड़ताल कर रहे हैं.
इस हड़ताल में देशभर के 10 लाख कर्मचारी और 10,000 से ज्यादा शाखाएं शामिल होंगी. वह कहते हैं कि इस हड़ताल में ग्रामीण बैंक ने भी शामिल होने का फैसला किया है.
आम लोगों के साथ-साथ छोटे और बड़े कारोबारियों को भी होंगी परेशानियां
चार दिनों तक लगातार बैंकों के बंद रहने से देश को बड़ी आर्थिक चोट लगना तय है. इससे सरकार के साथ-साथ आम आदमी के कामकाज भी अटक जाएंगे.
कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के सेक्रेटरी जनरल प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि बैंकों की चार दिन चलने वाली हड़ताल से देश में कारोबारी गतिविधियों पर बुरा असर पड़ेगा.
हर दिन ट्रेडर्स, सर्विस प्रोवाइडर्स, कॉरपोरेट हाउसेज, इंडस्ट्रीज, छोटे कारोबारी और अन्य सेक्टर बैंकिंग सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं. इससे उनके बैंकिंग कामकाज पर बुरा प्रभाव पड़ेगा.
बैंकों के बंद रहने से एनईएफटी के जरिए होने वाले ट्रांजैक्शंस अटक जाएंगे. इसके चलते बड़े नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है. चेक क्लीयरेंस, एटीएम कामकाज समेत कई अहम सेवाएं इस हड़ताल की वजह से अटक जाएंगी.
बैंकों में हड़ताल से कितना होगा नुकसान
एफएमसीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन और दिल्ली के ऑल इंडिया व्यापार मंडल के प्रेसिडेंट देवेंद्र अग्रवाल ने मनी9 को बताया कि एक दिन की छुट्टी का ही कारोबार पर बुरा असर पड़ता है. चार दिन बैंक बंद रहने का कारोबार पर बेहद बुरा असर होगा. सारे क्लीयरेंस रुक जाएंगे.
देवेंद्र अग्रवाल कहते हैं कि इस हड़ताल के चलते हर दिन 50,000 करोड़ रुपये से 70,000 करोड़ रुपये रोजाना का नुकसान हो सकता है.


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