June retail inflation: राहत भरी खबर, जून में खुदरा महंगाई दर घटी
जून में खुदरा महंगाई दर घटी
June retail inflation: जून के महीने में भारत की खुदरा महंगाई दर घटकर 6.26 फीसदी रही. मई के मुकाबले इसमें थोड़ी राहत आई है. मई में खुदरा महंगाई दर 6.30 फीसदी रही थी. वहीं मई के महीने में भारत इंडस्ट्रियल आउटपुट यानी IIP में सालाना आधार पर 29.27 फीसदी की तेजी दर्ज की गई. यह जानकारी मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन (MoSPI) की तरफ से शेयर की गई है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रिटेल इंफ्लेशन का टार्गेट 4 फीसदी रखा है जिसमें 2 फीसदी की गिरावट और तेजी को कैप किया गया है. ऐसे में यह लगातार दूसरा महीना है जब रिटेल इंफ्लेशन RBI के 6 फीसदी के अपर सर्किट को क्रॉस किया है. उससे पहले लगातार पांच महीनों तक खुदरा महंगाई दर 6 फीसदी के दायरे के भीतर रहा था. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मार्च 20206 तक के लिए रिटेल इंफ्लेशन का टार्गेट 4 फीसदी (+/-2%) के साथ मेंटेन करने का लक्ष्य रखा है.
RBI पॉलिसी मेकिंग के लिए यह डेटा जरूरी
खुदरा महंगाई दर का डेटा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की पॉलिसी मेकिंग के लिए बहुत जरूरी होता है. इसी को ध्यान में रखते हुए वह मॉनिटरी पॉलिसी को लेकर फैसला लेता है. पिछले महीने रिजर्व बैंक के MPC की बैठक हुई थी जिसमें उसनें लगातार छठी बार पॉलिसी को रेट को स्थिर रखने का फैसल किया था. इस समय रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी है. गवर्नर शक्तिकांत दास बार-बार कहते हैं कि कोरोना के असर को कम करने के लिए वह लगातार अनुकूल रुख अपनाएंगे.
चालू वित्त वर्ष के लिए इंफ्लेशन टार्गेट 5.1 फीसदी
Reserve Bank of India ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए रिटेल इंफ्लेशन का अनुमान 5.1 फीसदी रखा है. उसके मुताबिक जून तिमाही में खुदरा महंगाई दर 5.2 फीसदी, सितंबर तिमाही में यह 5.4 फीसदी, दिसंबर तिमाही में 4.7 फीसदी और मार्च तिमाही में इसके 5.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.
कच्चे तेल में तेजी चिंता का विषय
माना जा रहा है कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष के लिए इंफ्लेशन टार्गेट को बढ़ा सकता है. कच्चे तेल की कीमत में जिस तरह तेजी आ रही है, वह चिंता का विषय है. एक तरफ इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल का भाव बढ़ रहा है, दूसरी तरफ सरकार टैक्स में बढ़ोतरी कर रही है. इंटरनेशनल मार्केट में कच्चा तेल इस समय 75 डॉलर के पार है. रिफाइनरी प्रोडक्ट में 90 फीसदी हिस्सेदारी कच्चे तेल की होती है. पेट्रोल-डीजल महंगा होने से ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट भी बढ़ जाता है. इससे फूड कॉस्ट बढ़ जाता है.