झारखंड: किसानों की आय मशरूम उत्पादन के जरिए बढ़ाने की कोशिश, दिया जा रहा प्रशिक्षण

किसानों की आय मशरूम उत्पादन के जरिए बढ़ाने की कोशिश

Update: 2022-01-08 15:20 GMT
झारखंड में मशरूम उत्पादन (Mushroom Cultivation) को बढ़ावा देकर किसानों की आय बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. मशरुम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए योजना के तहत प्रत्येक मशरूम किसान (Mushroom Farmers) को प्लास्टिक बैग, कंपोस्ट और मशरूम स्पॉन दिया जाएगा. इसके अलावा मशरूम किसानों के लिए पांच दिवसीय प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. किसानों को दिए गये प्लास्टिक बैग में 10 किलोग्राम कंपोस्ट और 100-120 किलोग्राम तक स्पॉन किसानों को दिया जाएगा. जो किसान इस योजना का लाभ उठाने के लिए इच्छुक किसान अपने संबंधित जिले में जाकर जिला उद्यान पदाधिकारी से संपर्क कर सकते हैं.
सरकार की इस योजना के राज्य के महिला किसानों को स्वावलंबी बनाने कि योजना है. इसके तहत देवघर जिले के महिलाओं सशक्त और स्वावलंबी बनाने के लिए देवघर जिले के शंकरी पंचायत के लकड़ा पंचायत में कृषि पाठशाला का आयोजन किया गया. पाठशाला का उद्देश्य प्रखंड की महिलाओ को बटन मशरूम की खेती के बारे में जानकारी देना था. इस दौरान सभी महिला किसानों को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिया गया साथ ही उन्हें इसकी खेती के फायदे और कमाई के बारे में जानकारी दी गई.
किसान पाठशाला में महिलाओं को दिया गया प्रशिक्षण
कृषि पाठशाला में देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री भी शामिल हुए. उन्होंने प्रशिक्षण में शामिल महिलाओं से बातचीत की और उनके अनुभवों को जाना. महिला किसानों ने बताया कि बटन मशरूम उत्पादन के जरिए किसान अपनी आय को दोगुनी कर सकते हैं. बटन मशरूम मशरूम की ऐसी किस्म है जिसमें पोषक तत्वो की मात्रा प्रचूर मात्रा में पायी जाती हैं. इसलिए बाजार में हमेशा इसकी मांग बनी रहती है. किसान कम लागत में इसकी खेती कर सकते हैं. अक्तूबर से मार्च तक इसका उत्पादन किया जा सकता है. यह समय इस मशरूम के लिए उपयुक्त होता है.
दो तरह के शेड का होता है इस्तेमाल
सफेद बटन मशरूम की खेती के लिए दो तरह के शेड का इस्तेमाल किया जा सकता है, स्थायी और अस्थायी शेड. जो किसान इसकी खेती करना चाहते हैं और उनके पास पूंजी की कमी है तो ऐसे किसान बांस और पुवाल से शेड बनाकर सफेद बटन मशरूम (Button Mushroom) की खेती कर सकते हैं. अगर किसान लंबे समय तक इसकी खेती करना चाहते हैं तो स्थायी शेड का निर्माण कर सकते हैं. किसान पाठशाला में उपायुक्त ने महिला किसानों को बताया कि मशरूम की खेती के लिए सभी को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें कलस्टर वाइस प्रशिक्षण दिया जाएगा और उनके लिए बेहतर बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा.
कम लागत में होती है अच्छी कमाई
मशरूम की खेती के लिए लागत भी कम लगती है और छोटे से जगह घर में इसकी खेती की जा सकती है. इसके लिए अलग से समय भी नहीं देना पड़ता है. साथ ही यह बेहद कम समय में बेचने के लिए तैयार भी हो जाता है. इसके अलावा बाजार में इसके अच्छे दाम भी मिलते है. एक और फायदा यह होता है कि इसमें दोगुना से अधिक मुनाफा होता है. बता दें कि कृषि पाठशाला के जरिए 25 किसानों का समूह बनाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रही है. इसकी खेती में 12 से 15 हजार रुपए की लागत से 65 से 75 हजार रुपए की आमदनी प्राप्त की जा सकती है.
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