RBI गवर्नर की अध्यक्षता में एफएसडीसी की बैठक में उठा मुद्दा, तीसरी लहर के आर्थिक असर को लेकर रिजर्व बैंक सतर्क
ओमिक्रोन की वजह से आर्थिक रिकवरी पर पड़ने वाले असर को लेकर देश के वित्तीय नियामकों के स्तर पर विमर्श का दौर शुरू हो गया है। गुरुवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर डा. शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में एफएसडीसी की उप समितियों की बैठक हुई।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ओमिक्रोन की वजह से आर्थिक रिकवरी पर पड़ने वाले असर को लेकर देश के वित्तीय नियामकों के स्तर पर विमर्श का दौर शुरू हो गया है। गुरुवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर डा. शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में वित्तीय स्थायित्व व विकास परिषद (एफएसडीसी) की उप समितियों की बैठक हुई। केंद्रीय बैंक की तरफ से बताया गया है कि कोरोना की तीसरी लहर के आर्थिक क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर सभी सदस्य ने अपने विचार रखे।
अर्थव्यवस्था के दूसरे पहलुओं पर चर्चा
इसके अलावा घरेलू इकोनमी से जुड़े दूसरे पहलुओं के बारे में चर्चा की गई। वैश्विक स्तर की गतिविधियों और इसके भारतीय इकोनमी पर पड़ने वाले असर की भी समीक्षा की गई है। आधार के जरिये वित्तीय लेनदेन की सुविधा को व्यापक बनाने की संभावनाओं पर भी चर्चा की गई है।
राज्यस्तरीय समितियों के कार्य की समीक्षा
आरबीआइ की मंशा है कि उसकी तरफ से लाइसेंस प्राप्त एजेंसियों को आधार के जरिये वित्तीय लेनदेन करने की सुविधा का तेजी से विस्तार किया जाए। बैठक में एफएसडीसी की राज्यस्तरीय समितियों के काम की भी समीक्षा की गई है। एफएसडीसी में देश के सेबी, इरडा, पीएफआरडीआइ के चेयरमैन के अलावा वित्त मंत्रालय के सभी सचिव, सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव और आरबीआइ के सारे उप-गवर्नर हिस्सा लेते हैं।
लोन मोरेटोरियम की सुविधा को फिर से लागू करने की मांग
एफएसडीसी की इस बैठक की अहमियत इसलिए भी है कि जल्द ही आम बजट 2022-23 पेश किया जाना है और हर वर्ष इस अहम समिति की कई सिफारिशों को आम बजट में स्थान दिया जाता है। सूचना यह भी है कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर (ओमिक्रोन वायरस) के असर को देखते हुए कुछ बैंकों व गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों ने सरकार से मांग की है कि कि उन्हें लोन मोरेटोरियम की सुविधा को लेकर पूर्व में मिली रियायत को फिर से लागू किया जाए। खास तौर पर जिन बैंक खातों को मोरेटोरियम की सुविधा मिलने के बावजूद कर्ज चुकाने में दिक्कत हो रही है उनके लिए बैंक सहूलियत मांग रहे हैं।