ISIS का सीरिया की जेल पर फिर से हमला

Update: 2022-01-26 17:10 GMT

बीते दशक में दुनिया के लिए दहशत का दूसरा नाम बन चुका ISIS एक बार फिर सुर्खियों में आने के लिए छटपटा रहा है। हालांकि लाख कोशिश के बावजूद दुनिया के मीडिया ने इस्लामिक स्टेट की हरकतों की तरफ देखना तक ज़रूरी नहीं समझा। एक बार सुर्खियों से ग़ायब होने के बाद वो जुबान और फिर ज़ेहन से भी दूर होने लगा था। मगर अचानक इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों के हाथ एक तुरुप का पत्ता मिल गया और सर्खियों एक अदद जगह बना ही ली। असल में इस्लामिक स्टेट अब क़रीब क़रीब अपने वजूद को बचाने की जंग लड़ रहा है। ऐसे में उसके पास आतंकियों का ज़बरदस्त टोटा हो गया। अब वो आतंकी लाए तो कहां से लाए, क्योंकि उसका भर्ती विभाग क़रीब क़रीब बेरोजगार ही है। अब कोई भी उसकी आतंक की दुकान के आस पास भी नहीं फटक रहा। लिहाजा ISIS के लड़ाकों ने अब अपने लश्कर को मज़बूत करने के लिए नया जुगाड़ निकाला है और जेलों पर हमला करना शुरू कर दिया।

ताज़ा वाकया सामने आया है सीरिया से। सीरिया की अल हसाका शहर की घवेरन जेल पर धावा बोलकर ISIS के आतंकियों ने करीब 100 आतंकियों को आज़ाद करवा लिया। हालांकि जिस वक़्त ये हमला हुआ था उस वक्त उस जेल की हिफाजत के लिए तैनात कुर्द फोर्सेज मुस्तैद नहीं थी। लेकिन हमले के फौरन बाद कुर्द की सेना ने इस्लामिक स्टेट के आतंकियों के सामने मोर्चा जमा लिया। और ये लड़ाई चार दिनों से जारी रही। इस जंग में दोनों तरफ से करीब डेढ़ सौ लोग मारे जा चुके हैं। ब्रिटेन की सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के हवाले से मिली खबरों पर यकीन किया जाए तो जेल पर हमला करके इस्लामिक स्टेट के दहशतगर्दों ने न सिर्फ अपने साथियों को छुड़ाया बल्कि जेल में रखे बहुत सारे हथियार भी अपने कब्ज़े में ले लिए। सीरिया पर नज़र रखने वाले जानकारों का कहना है कि इस्लामिक स्टेट एक बार फिर सीरिया में अपनी उखड़ी हुई जड़ों को फिर जमाने की फिराक में लग गया है। बताया तो यहां तक जा रहा है कि सीरिया में इस्लामिक स्टेट के स्लीपर सेल फिर से एक्टिव हो गए हैं।


कुर्द सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज़ के हवाले से कहा गया है कि जेल के आसपास के इलाक़े को पूरी तरह से सील कर दिया गया है। लिहाजा जो आतंकी उस घेरे में उनका बचना नामुमकिन है। सीरिया की मीडिया में छाई खबरों पर भरोसा किया जाए तो इस लड़ाई में अब तक इस्लामिक स्टेट के 84 आतंकी मारे जा चुके हैं जबकि कुर्द सेना के 45 लड़ाके शहीद हो गए। लेकिन इस खूनी जंग में सात आम शहरी को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. उधर सीरिया में इस्लामिक स्टेट के फिर से सिर उठाने के बाद पूरी दुनिया में एक दहशत सी फैल गई है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ ने मांग की है कि जिन 850 नाबालिगों को पकड़ा गया था उन्हें अलग से सुरक्षा मुहैया करवाई जाए। एक अनुमान के मुताबिक सीरिया के कई शहरों की अलग अलग जेलों में 50 से ज़्यादा देशों के दहशतगर्दों और अपराधियों को कैद किया गया है। सबसे हैरानी वाली बात ये है कि इनमें से 12 हज़ार से ज़्यादा आतंकियों का ताल्लुक तो इस्लामिक स्टेट से ही है। बताया तो यहां तक जा रहा है कि इस्लामिक स्टेट के आतंकियों के जेल पर हमले की खबर पहले से ही जेल में बंद आतंकियों को थी। इसीलिए हमले से बहुत पहले ही आतंकियों ने हंगामा शुरू कर दिया था जिससे सुरक्षा गार्डों का ध्यान भटक जाए।

11 साल पहले यानी 2011 में ISIS ने सीरिया के रक्का और उसके आस पास बड़े पैमाने पर आतंकी हमले तेज़ कर दिए थे। और अपनी दहशत फैलाने की गरज से भयानक तरीके से क़त्लेआम शुरू कर दिया था जिसने दुनिया में अलग तरह की दहशत फैला दी थी। मगर 2014 के बाद इस्लामिक स्टेट पर अमेरिकी सेना के हमले तेज़ हो गए थे। इराक़ में अमेरिकी सेना की मौजूदगी ने सीरिया में ISIS के पांव और जड़ें उखाड़ दी थी। लिहाजा इस्लामिक स्टेट ने एक बार फिर अपनी जड़ों को जमाना शुरू कर दिया है और इसके लिए उसने ज़मीन देख ली है।

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