बीमा कंपनी कर रही है परेशान, इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI में कर सकते हैं शिकायत; यहां जानिए IRDAI में शिकायत दर्ज कराने का तरीका
सीधे इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI में भी अपनी शिकायत कर सकते हैं. आप IRDAI में कैसे अपनी शिकायत करा सकते हैं आइए बताते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अगर आपने किसी बीमा कंपनी से कोई इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी है, लेकिन आपको उससे संबंधित कोई परेशानी है और बीमा कंपनी आपकी बात सुनने को तैयार नहीं है, तो आप सीधे इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI में भी अपनी शिकायत कर सकते हैं. आप IRDAI में कैसे अपनी शिकायत करा सकते हैं आइए बताते हैं.
पहले GRO से करें संपर्क
बता दें कि अगर आप कंपनी से संतुष्ट नहीं हैं तो कंपनी की ब्रांच या अपने संपर्क वाले दूसरे ऑफिस में ग्रीविएंस रिड्रेसल ऑफिसर (GRO) से संपर्क कर सकते हैं. ध्यान रहे यहां शिकायत करते समय में लिखित शिकायत पेपर के साथ सभी जरूरी डॉक्यूमेंट जरूर होने चाहिए. शिकायत करने पर तारीख के साथ रिकॉर्ड के लिए रिसीविंग भी लें. इंश्योरेंस कंपनी 15 दिनों के अंदर मामले का निपटारा करेगी. अगर 15 कार्य दिवसों के भीतर कंपनी से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता है, तो आप IRDAI से संपर्क कर सकते हैं.
ऐसे कर सकते हैं IRDAI में शिकायत
IRDAI की कंज्यूमर वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, ऐसे में आईआरडीएआई के उपभोक्ता मामलों के विभाग में ग्रीविएंस रिड्रेसल सेल (शिकायत निवारण कक्ष) से संपर्क करें. इसके लिए टॉल फ्री नम्बर 155255 या 1800 4254 732 पर कॉल करें, या complaints@irda.gov.in पर एक ई-मेल भेजें.
IRDAI को अपनी शिकायत का लेटर या फैक्स भेजें
शिकायत फॉर्म रेगुलेटर की ऑफिशियल वेबसाइट लिंक https://www.policyholder.gov.in/uploads/CEDocuments/complaintform.pdf से डाउनलोड कर निकालें. इस फॉर्म को अच्छी तरह से भरें और इसके साथ जरूरी डॉक्यूमेंट को अटैच कर डाक से या कोरियर के जरिए निम्न पते पर इसे भेज दें
महा प्रबंधक,
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई),
उपभोक्ता मामले विभाग - शिकायत निवारण कक्ष,
सर्वे नं. - 115/1, फाइनेंशियल डिस्ट्रिक्ट,नानकरामगुडा,
गच्चिबावली, हैदराबाद- 500032.
क्या है प्रोसेस?
IRDAI के पास रजिस्टर्ड शिकायतों को बीमा कंपनी को निर्धारित समय के भीतर पॉलिसीधारक को समाधान देना होगा. इसके साथ ही अगर आप बीमा कंपनी द्वारा पेश किए गए समाधान से संतुष्ट नहीं हैं, तो शिकायत को आगे बीमा लोकपाल के पास भेजा जा सकता है, अगर वो लोकपाल के दायरे में आती है.