पेट्रोलियम मंत्रालय की पहल, ग्रीन एनर्जी से दो वर्षों में 1 लाख करोड़ बचेंगे

यातायात से जुड़े वाहनों में पेट्रोल-डीजल की जगह ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल से अगले दो वर्षों में आयात बिल में एक लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।

Update: 2021-07-03 16:01 GMT

नई दिल्ली, यातायात से जुड़े वाहनों में पेट्रोल-डीजल की जगह ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल से अगले दो वर्षों में आयात बिल में एक लाख करोड़ रुपये की बचत होगी। वहीं, देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रयास से इस योजना को अंजाम दिया जा रहा है। पेट्रोलियम सचिव तरुण कपूर ने बताया कि बायोडीजल, हाइड्रोजन, कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी), एथनॉल जैसी कई ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल को बढ़ाने पर काम चल रहा है। लेकिन अगले दो वर्षो में मुख्य रूप से सीबीजी और एथनॉल का इस्तेमाल बढ़ने से आयात बिल में एक लाख करोड़ रुपये तक की बचत हो सकती है।

कपूर ने बताया कि वर्ष 2025 तक गाडि़यों में इस्तेमाल होने वाले ईधन में 20 फीसद एथनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन यह लक्ष्य अगले दो वर्षो में हासिल किया जा सकता है। सरकार की योजना के अनुसार 20 फीसद एथनॉल मिश्रित फ्यूल के लिए सालाना 1,000 करोड़ लीटर एथनॉल तैयार करना होगा जिससे कच्चे तेल के आयात में कमी होगी और आयात बिल में 50,000 करोड़ रुपये की बचत होगी।
कपूर ने बताया कि इसके अलावा अगले दो वर्षो में सीबीजी के 5,000 प्लांट लगाए जाएंगे, जिससे 1.5 करोड़ टन सीबीजी का उत्पादन होगा। यातायात ईधन के रूप में 1.5 करोड़ टन सीबीजी के इस्तेमाल से भी आयात बिल में सालाना 40,000-50,000 करोड़ रुपये की बचत होगी। उन्होंने बताया कि 1,800 संयंत्रों के लिए लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआइ) जारी किया जा चुका है और 1500 संयंत्रों की स्थापना पर पहले से काम चल रहा है। सीबीजी के उत्पादन से प्राकृतिक गैस के आयात में कमी आएगी। सीबीजी को ट्रांसपोर्ट सेक्टर में सीएनजी (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) के विकल्प के रूप में उपयोग किया जा सकता है। वर्तमान में देश में कुल खपत की 50 फीसद प्राकृतिक गैस का आयात किया जाता है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के अधीनस्थ काम करने वाली कंपनी गेल ने हाल ही में एथनॉल और सीबीजी प्लांट लगाने के लिए 5,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है। गेल के प्लांट में विभिन्न शहरों के नगर निगमों के कचरे से बायोगैस बनाई जाएगी। वाहनों व घरों में ईधन के रूप में बायोगैस का उपयोग होगा। वहीं कृषि कचरे या गन्ने के कचरे से गेल के प्लांट में एथनॉल का उत्पादन होगा। फिलहाल गेल दो सीबीजी प्लांट और एक एथनॉल प्लांट लगाने जा रही है। जेबीएम ग्रुप, अदाणी गैस, टोरेंट गैस और पेट्रोनेट एलएनजी भी देश में सीबीजी प्लांट लगा रही हैं। इन सभी ताक तकनीक मुहैया कराने का काम इंडियन ऑयल और भारत बायोगैस एनर्जी जैसी कंपनियां कर रही हैं।
आइओसीएल चलाएगी हाइड्रोजन बसें
कपूर ने बताया कि आइओसीएल दिल्ली-आगरा व बडोदरा-स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बीच हाइड्रोजन चालित बसों का परिचालन करेगी। हाल ही में आइओसीएल की तरफ से टाटा मोटर्स को हाइड्रोजन बस सप्लाई करने का ऑर्डर दिया गया है। टाटा मोटर्स लगभग तीन वर्षो में आइओसीएल को 15 हाइड्रोजन बसों की सप्लाई करेगी।
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