महंगाई मार गई: सोने से भी मुश्किल हुआ दूध ढूंढना, इतनी हुई कीमत

खाद्य संकट इतना गहरा गया है कि वहां लोगों के लिए सोना खरीदने से ज्यादा मुश्किल दूध खरीदना हो गया है.

Update: 2022-03-11 07:18 GMT

नई दिल्ली: श्रीलंका का खाद्य संकट इतना गहरा गया है कि वहां लोगों के लिए सोना खरीदने से ज्यादा मुश्किल दूध खरीदना हो गया है. 54 साल की शामला लक्ष्मण दूध की तलाश में राजधानी कोलंबो की सड़कों पर देर रात दुकान दर दुकान भटकती हैं ताकि उन्हें दूध का पैकेट मिल जाए. वो तड़के सुबह भी निकलकर दूध की तलाश करती हैं ताकि सात लोगों के अपने परिवार का पेट भर सकें लेकिन उन्हें बहुत बार दूध मिल नहीं पाता.

उन्होंने द गार्डियन से बातचीत में कहा, 'आजकल किसी दुकान पर दूध मिलना असंभव हो गया है. और अगर आपको ये किसी दुकान में दिख भी जाए तो इतना महंगा होता है कि हम खरीद नहीं पाते. दूध की कीमतें पहले से तिगुनी महंगी हो गई हैं इसलिए मैं अपने परिवार के लिए दूध खरीद नहीं पाती हूं.'
चिकन बना लग्जरी
चिकन श्रीलंका के खान-पान का अहम हिस्सा है लेकिन इसकी बढ़ती कीमतों के कारण ये आम लोगों की प्लेट से गायब हो गया है. चिकन की कीमतें दोगुनी हो गई हैं और अब लोगों के लिए ये एक लग्जरी आइटम बन चुका है. शामला कहती हैं, 'हमारे जरूरत की लगभग सभी चीजें हमारी पहुंच से बाहर हो गई हैं. हर रोज मुझे इसी बात का डर लगा रहता है कि कल को अपने परिवार को क्या खिलाऊंगी मैं.'
श्रीलंका अपने सबसे खराब वित्तीय संकट का सामना कर रहा है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली हो चुका है और चीन सहित कई देशों के कर्ज तले दबा श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर है. जनवरी में श्रीलंका का विदशी मुद्रा भंडार 70% घटकर 2.36 अरब डॉलर रह गया. विदेशी मुद्रा की कमी के कारण श्रीलंका भोजन, दवा और ईंधन सहित सभी जरूरी सामानों को विदेशों से आयात नहीं कर पा रहा है.
रसोई गैस की कमी के कारण बंद पड़ गईं कई बेकरी
श्रीलंका में रसोई गैस की भारी किल्लत हो गई है जिस कारण एक हजार बेकरियों को बंद करना पड़ा है. हफ्ते की शुरुआत में एक इंडस्ट्री एसोसिएशन ने जानकारी दी कि देश में विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण गैस नहीं मिल पा रहा है इस कारण बेकरियों को बंद करना पड़ा है.
देश में ईंधन की कमी के कारण कई बिजली संयंत्रों को भी बंद करना पड़ा है. लोगों को जरूरत के घंटों में बिजली की कटौती का सामना करना पड़ रहा है. बिजली दिन में सात घंटे से अधिक वक्त तक गायब रहने लगी है.
एन.के. सीलोन बेकरी ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जयवर्धने ने कहा कि कुछ शहरी क्षेत्रों में रसोई गैस की कमी के कारण ब्रेड की कीमतें दोगुनी होकर लगभग 150 श्रीलंकाई रुपये (0.75 डॉलर) हो गई हैं.
जयवर्धने ने कहा, 'अगर यही स्थिति एक और सप्ताह तक बनी रहती है तो 90% बेकरियों को बंद करना होगा. कई बेकरों ने कर्ज लिया है, वे उन्हें चुका नहीं पाएंगे. सरकार को तत्काल कोई उपाय निकालना चाहिए.'
ब्रेड श्रीलंका के गरीब परिवारों और श्रमिकों के भोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है. श्रीलंका के लगभग हर गांव और कस्बे में एक बेकरी मिल ही जाती है. बेकरियों के बंद होने और ब्रेड की कीमतें बढ़ने का असर गरीब लोगों की कमर तोड़ रहा है.
खुदरा गैस विक्रेताओं का बिजनेस पड़ा ठप
गैस की कमी का असर छोटे रेस्तरां और लोगों पर भी गंभीर रूप से हो रहा है. आपूर्ति न होने से कई गैस खुदरा विक्रेताओं ने अपना बिजनेस बंद कर दिया है.
कुकिंग गैस रिटेल आउटलेट की मालिक दनुशा गुनेवर्धने ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा, 'आम तौर पर हमें हर दो दिन में लगभग 100 गैस के कनस्तर मिलते हैं. पिछले सोमवार से हमें गैस का एक भी कनस्तर नहीं मिला है. मेरे पास एक डिलीवरी बॉय था लेकिन काम न होने से उसे भी मैंने हटा दिया है. अब उसके पास भी कोई काम नहीं है.'
श्रीलंका के दो गैस आपूर्तिकर्ताओं में से एक, लॉफ्स गैस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आयात ठप हो गया क्योंकि बैंक कर्ज देने से मना कर रहे हैं. हमारी कंपनी आमतौर पर कतर और ओमान से 50 करोड़ डॉलर की लगभग 15 हजार टन गैस खरीदती थी.
ऊर्जा मंत्रालय के सचिव के.डी.आर ओल्गा ने कहा कि श्रीलंका को सोमवार को दो डीजल शिपमेंट और इस सप्ताह के अंत में एक और डीजल शिपमेंट प्राप्त होने की उम्मीद है, जिससे ईंधन की कमी को आंशिक रूप से पूरा किया जा सकेगा.
बढ़ती कीमतों के कारण नौकरीपेशा वर्ग भी मुश्किल में
श्रीलंका की आर्थिक बदहाली का शिकार केवल गरीब तबका नहीं हो रहा बल्कि अच्छी खासी कमाई करने वाला नौकरीपेशा वर्ग भी अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा. श्रीलंका में सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं जिससे आम लोग सब्जी नहीं खरीद पा रहे हैं.
40 साल के निशान शनाका कोलंबो में एक सिविल इंजिनियर हैं. लेकिन अब वो अपनी नौकरी के अलावा कोलंबो की सड़कों पर ऑटो रिक्शा भी चलाते हैं ताकि अपने परिवार की जरूरतों को पूरा कर पाएं. ऑफिस से आने के बाद शाम को और वीकेंड्स पर निशान ऑटो चलाते हैं. नौकरी की कमाई का पैसा अब उनके परिवार के खाने-पीने और बच्चों की स्कूल की फीस के लिए कम पड़ता है.
वो द गार्डियन से कहते हैं, 'सभी चीजों के दाम बहुत बढ़ चुके हैं. अगर मैं एक टॉफी भी खरीदने जाता हूं तो वो इतनी महंगी होती है कि उसे खरीद पाना मुश्किल हो जाता है. ईंधन की तेजी से बढ़ती कीमतें हर चीज की कीमतों को प्रभावित कर रही हैं. मेरी बेटी को स्कूल जाने के लिए बस नहीं मिलती क्योंकि स्कूल वालों ने ईंधन की कमी के चलते बस सेवा को बंद कर दिया है.'
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