Europe में महंगाई घटकर बहुत नीचे आई, क्या भारत पर होगा असर

Update: 2024-08-30 12:49 GMT

Business व्यापार : महंगाई की आग में जल रही दुनिया के लिए अच्छी खबर है। यूरो को मुद्रा के रूप में इस्तेमाल करने वाले यूरोप के करीब 20 देशों में महंगाई का स्तर कम हुआ है। ये सभी देश यूरोपीय संघ (ईयू) के सदस्य हैं और एक ही मुद्रा का इस्तेमाल करते हैं। इनका एक साझा केंद्रीय बैंक 'यूरोपीय केंद्रीय बैंक' (ईसीबी) भी है। वहीं, हाल ही में ईयू की सांख्यिकी एजेंसी 'यूरोस्टेट' ने महंगाई से जुड़े आंकड़े जारी किए हैं। यूरोस्टेट के मुताबिक, अगस्त में यूरो जोन में महंगाई दर में तेजी से कमी आई है। यह घटकर महज 2.2 फीसदी रह गई है। इसे अच्छा संकेत माना जा रहा है, क्योंकि इससे ईसीबी के लिए ब्याज दरों में कटौती का रास्ता खुल गया है। क्या इसका असर भारत पर भी पड़ेगा? लोगों के लिए कर्ज सस्ता होगा ईसीबी के अलावा अमेरिकी फेडरल रिजर्व भी लंबे समय से ब्याज दरों में कटौती की योजना बना रहा है। ऐसा करने से न सिर्फ कंपनियों बल्कि आम लोगों के लिए भी कर्ज सस्ता हो जाएगा और अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद मिलेगी। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल पहले ही संकेत दे चुके हैं कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक सितंबर में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। वैसे भी कोविड के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक के बाद एक चुनौतियों के सामने आने से पूरी दुनिया महंगाई की चपेट में है। भारत में स्थिति इसलिए ज्यादा भयावह है क्योंकि यहां खाद्य महंगाई सामान्य खुदरा महंगाई से ज्यादा बनी हुई है।

इसके चलते भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने करीब 1.5 साल से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। जर्मनी में महंगाई दर 2% पर बरकरार शुक्रवार को यूरोस्टेट द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में यूरो की महंगाई दर 2.6 फीसदी रही। अगस्त में ऊर्जा की कीमतों में तीन फीसदी की गिरावट आई, जिससे महंगाई में कुल मिलाकर गिरावट आई है। यूरो जोन की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में महंगाई दर घटकर दो फीसदी पर आ गई है। ईसीबी ने महंगाई को मासिक आधार पर 2 फीसदी पर रखने का लक्ष्य रखा है। यह अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बेहतर माना जाने वाला स्तर है। यूरोपीय संघ की स्थापना करने वाली संधि के तहत यूरोपीय केंद्रीय बैंक को स्थिर कीमतें बनाए रखने का काम सौंपा गया है। यूरोपीय संघ के सभी 27 देश यूरो का इस्तेमाल नहीं करते हैं। यह मुद्रा केवल 20 देशों में प्रचलन में है। ईसीबी अगले महीने 12 सितंबर को अपनी मौद्रिक नीति बैठक में नीतिगत ब्याज दर को 3.75 प्रतिशत से घटाकर 0.25 प्रतिशत कर सकता है, जबकि फेडरल रिजर्व भी 17-18 सितंबर को अपनी नीति बैठक में ब्याज दर में कटौती कर सकता है। भारत पर दिखेगा इसका असर mभारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्वीकरण का असर साफ तौर पर दिख रहा है। ऐसे में अगर अगले महीने फेडरल रिजर्व और ईसीबी की ब्याज दरों में बदलाव होता है। तो अक्टूबर में भारतीय रिजर्व बैंक की बैठक में नीतिगत ब्याज दर में कमी की जा सकती है। हालांकि यूरो जोन में महंगाई में कमी के बाद भारत के निर्यात में सुधार की उम्मीद है।


Tags:    

Similar News

-->