भारत सरकार चीन की इस बड़ी कंपनी को कर सकती है बैन

ZTE के खिलाफ भी सरकार ले सकती है एक्शन

Update: 2021-03-12 08:11 GMT

चीनी कंपनी हुवावे के जरिए बनाए गए टेलीकॉम एक्विपमेंट के इस्तेमाल को लेकर भारत अपने मोबाइल कैरियर्स को ब्लॉक कर सकता है. दूरसंचार लाइसेंस नियमों में बदलाव के बाद भारत सरकार चीनी कंपनी हुवावे पर प्रतिबंध लगा सकती है. हुवावे पर अंकुश लगाने के एक अमेरिकी अभियान ने दुनियाभर में अपने उपकरणों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध या लिमिट बढ़ा दी हैं, लेकिन नई दिल्ली और बीजिंग के बीच उनकी साझा सीमा पर तनावपूर्ण संबंधों से भारत में स्थिति खराब हो गई है.


दूरसंचार विभाग ने बुधवार को कहा कि 15 जून के बाद कैरियर्स केवल सरकार द्वारा अनुमोदित ट्रस्टेड सोर्सेज से एक्विपमेंट के कुछ प्रकार के उपकरण खरीद सकते हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबित अधिकारियों ने बताया कि, हुवावे के दूरसंचार उपकरणों की खरीद व इस्तेमाल पर सरकार पूरी तरह रोक लगाने की तैयारी में है.

ZTE के खिलाफ भी सरकार ले सकती है एक्शन
अधिकारियों ने कहा, "अगर कोई निवेश राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम पैदा करता है तो हम आर्थिक लाभ को प्राथमिकता नहीं दे सकते." टेलीकॉम डिपार्टमेंट जिसने गुरूवार को हुवावे पर अपना कोई बयान नहीं दिया, उसे फिलहाल विश्वस्त सूत्रों और ब्लैकलिस्ट को लेकर आगे की जानकारी देनी है. हालांकि एक तीसरे ऑफिशियल ने कहा कि, ZTE कॉर्प जो एक और चीनी फर्म है, उसकी भारत में ज्यादा उपस्थिति नहीं है. ऐसे में उसे भी बाहर रखा जा सकता है.

बता दें कि चीनी सरकार के लिए जासूसी करने के लिए कथित रूप से हुवावे और जेटीई पर जांच चल रही है. दोनों कंपनियों ने इस मामले में आरोपों को खारिज कर दिया है.

बढ़ सकती है लागत
भारत के तीन बड़े टेलीकॉम कैरियर में से दो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया, हुवावे गियर का इस्तेमाल करते हैं. उद्योग विश्लेषकों का कहना है कि हुआवेई गियर पर किसी भी प्रतिबंध से लागत बढ़ने की संभावना है. बता दें कि, चीनी फर्म के उपकरण और नेटवर्क रखरखाव अनुबंध आमतौर पर एरिक्सन और नोकिया जैसे यूरोपीय प्रतियोगियों की तुलना में सस्ते हैं और भारत में ऐसे गियर की सीमित उपलब्धता है.

भारत ने विवादित हिमालय की सीमा पर दोनों पड़ोसियों के बीच जून के गतिरोध के बाद 150 अरब से अधिक के चीनी निवेश प्रस्तावों में से कुछ को मंजूरी देने के लिए तेजी से काम शुरू कर दिया है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया, हमने चीन से भी निवेश प्रस्तावों को कुछ मंजूरी देनी शुरू कर दी है, लेकिन हम टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर और फाइनेंशियल जैसे सेक्टर्स में कोई मंजूरी नहीं देंगे.

अधिकारियों ने यह भी कहा कि भारत 100 से अधिक चीनी मोबाइल ऐप पर पिछले साल के प्रतिबंध को हटाने के मूड में नहीं है. वहीं चीनी कंपनियों को एयर इंडिया और रिफाइनरी भारत पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड जैसी राज्य-संचालित फर्मों में दांव लगाने की अनुमति देने की संभावना नहीं है. भारत 1 अप्रैल से 12.5 अरब डॉलर जुटाने की योजना बना रहा है, जिसे राज्य द्वारा संचालित कंपनियों को बेचकर किया जा सकता है. हालांकि इस मामले में वित्त मंत्रालय ने टिप्पणी का जवाब नहीं दिया.

सूत्रों ने कहा कि भारत-चीन सीमा संघर्ष, लगभग चार दशकों में सबसे खराब है जहां पहले से ही कमजोर संबंधों और फिर से विश्वास हासिल करने वाली लंबी सड़क होगी. प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ऐप के प्रतिबंध पर टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया.


Tags:    

Similar News

-->