भारत ने ओपेक से कहा- 'तेल की ऊंची कीमतें से वैश्विक अर्थव्यवस्था में रुकावट'
दुनिया के तीसरे सबसे अधिक तेल खपत वाले देश भारत ने सऊदी अरब और दूसरे ओपेक देशों से तेलों के ऊंचे दामों पर काबू रखने की अपील की है।
दुनिया के तीसरे सबसे अधिक तेल खपत वाले देश भारत ने सऊदी अरब और दूसरे ओपेक देशों से तेलों के ऊंचे दामों पर काबू रखने की अपील की है। भारत ने कहा है कि तेलों के ऊंचे दाम दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा जो महामारी के बाद उबरने की कोशिश कर रही है। एक अधिकारी ने ये जानकारी दी।
नई ऊंचाई पर तेल के दाम
अधिकारी ने कहा कि मई की शुरुआत से कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतें देश भर में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। पश्चिम एशिया से अपनी तेल की जरूरतों का लगभग दो-तिहाई आयात करने वाले भारत ने पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) सहित कच्चे तेल उत्पादकों से कहा है कि तेल की ऊंची कीमतें वैकल्पिक ईंधन की जरूरत को तेज करेंगी और ऊंची दरें तेल उत्पादकों के लिए ही रोड़ा पैदा करेंगी।
अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि तेल की कीमतों में उत्पादकों और उपभोक्ताओं के हितों के बीच संतुलन बनाना पड़ता है। अभी ये बहुत अधिक है क्योंकि आपूर्ति की तुलना में मांग अधिक है।
कोरोना महामारी के चलते गिरे थे दाम
अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें पिछले साल अप्रैल में 19 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक गिर गई थीं, क्योंकि अधिकांश देशों ने कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन लगाया था। इस साल मांग में सुधार हुआ है क्योंकि संक्रमण के खिलाफ टीकाकरण ने दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को दोबारा पटरी पर लाने का काम किया है।
अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड तब से बढ़कर 85.67 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। अधिकारी ने कहा कि तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल के हफ्तों में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, कतर, अमेरिका, रूस और बहरीन से तेल की ऊंची कीमतों के मुद्दे पर बात की है।
पुरी ने ओपेक के महासचिव और सऊदी अरब व अन्य देशों में अपने समकक्षों के साथ अपनी बैठकों में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव पर भारत की गंभीर चिंताओं को सामने रखा।