न्यूयॉर्क। माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सह-अध्यक्ष बिल गेट्स ने अपने ब्लॉग ‘गेट्स नोट्स’ में लिखा है कि भारत भविष्य के लिए आशा देता है और यह साबित करता है कि देश बड़ी समस्याओं को एक बार में हल कर सकता है, भले ही दुनिया कई संकटों का सामना कर रही हो। अपने ब्लॉग में बिल गेट्स ने लिखा कि मेरा मानना है कि सही इनोवेशन और डिलीवरी चैनल्स के साथ दुनिया एक साथ कई बड़ी समस्याओं पर प्रगति करने में सक्षम है, यहां तक कि ऐसे समय में भी जब दुनिया कई संकटों का सामना कर रही है और आमतौर पर मुझे सुनने को मिलता है कि एक ही समय में दोनों को हल करने के लिए पर्याप्त समय या पैसा नहीं है, लेकिन भारत ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया है। गेट्स ने अपने ब्लॉग में लिखा कि भारत ने जो उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है, उससे बेहतर कोई सबूत नहीं है।
बिल गेट्स ने अपने ब्लॉग में लिखा कि समग्र रूप से भारत मुझे भविष्य के लिए आशा देता है। यह दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने जा रहा है। भारत ने साबित कर दिया है कि वह बड़ी चुनौतियों से निपट सकता है। उन्होंने कहा कि देश ने पोलियो का उन्मूलन किया, एचआईवी के प्रसार को कम किया, गरीबी को कम किया, शिशु मृत्यु दर में कमी आई और स्वच्छता और वित्तीय सेवाओं तक आम लोगों की पहुंच में वृद्धि हुई है। माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक ने यह भी कहा कि भारत ने नवाचार के लिए एक विश्व-अग्रणी दृष्टिकोण विकसित किया है,
जो यह सुनिश्चित करता है कि समाधान उन लोगों तक पहुंचे, जिन्हें उनकी आवश्यकता है।बिल गेट्स ने आगे लिखा है कि जब रोटावायरस वैक्सीन, जो डायरिया के कई घातक मामलों का कारण बनने वाले वायरस को रोकता है, हर बच्चे तक पहुंचने के लिए बहुत महंगा था, तो भारत ने खुद ही वैक्सीन बनाने का फैसला किया। भारत ने विशेषज्ञों और फंडर्स (गेट्स फाउंडेशन सहित) के साथ मिलकर काम किया। रोटावायरस के टीके बनाने के लिए फैसिलिटी खड़ी की और वैक्सीन के डिसट्रीब्यूशन के लिए बड़े पैमाने पर डिलीवरी चैनल बनाए।
वर्ष 2021 तक 1 वर्ष के 83 प्रतिशत बच्चों को रोटावायरस का टीका लगाया जा चुका था, और ये कम लागत वाले टीके अब दुनिया भर के अन्य देशों में उपयोग किए जा रहे हैं। पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान यानी आईएआरआई में इसके वित्त पोषण के बारे में बात करते हुए बिल गेट्स ने कहा कि गेट्स फाउंडेशन ने आईएआरआई में शोधकर्ताओं के काम का समर्थन करने के लिए भारत के सार्वजनिक क्षेत्र और सीजीआईएआर संस्थानों से हाथ मिलाया।
बिल गेट्स ने कहा कि उन्हें एक नया समाधान मिला, चने की किस्में जिनकी पैदावार 10 प्रतिशत से अधिक है और वे अधिक सूखा प्रतिरोधी हैं। एक किस्म पहले से ही किसानों के लिए उपलब्ध है और अन्य कई किस्में वर्तमान में संस्थान में विकसित हो रही हैं। परिणामस्वरूप भारत गर्म होती दुनिया में भी अपने लोगों को खिलाने और अपने किसानों का समर्थन करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार है।
यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि भारत का कृषि भविष्य उज्ज्वल है। जलवायु, भुखमरी, और स्वास्थ्य जैसी चुनौतियां दुर्गम लगने के कारणों में से एक यह है कि हमारे पास अभी तक उन्हें हल करने के लिए सभी आवश्यक उपकरण नहीं हैं, लेकिन मैं आशावादी हूं कि जल्द ही एक दिन हमारे पास इन चुनौतियों से पार पाने के सभी उपाय होंगे और इसके लिए हम इनोवेटर्स और आईएआरआई के शोधकर्ताओं को धन्यवाद देंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बिल गेट्स के ब्लॉग को साझा किया है। अपने ब्लॉग में गेट्स ने यह भी जानकारी दी कि वह अगले हफ्ते भारत आ रहे हैं, ताकि इनोवेटर्स और एंटरप्रेन्योर्स द्वारा किए जा रहे काम को देख सकें। उन्होंने लिखा कि कुछ ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं जो दुनिया को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करेंगे, जैसे ब्रेकथ्रू एनर्जी फेलो विद्युत मोहन और उनकी टीम द्वारा दूरस्थ कृषि समुदायों में अपशिष्ट को जैव ईंधन और उर्वरक में बदलने के लिए किया जा रहा काम। अन्य कुछ लोगों को गर्म होती दुनिया के अनुकूल बनाने में मदद करने के लिए नए तरीके खोज रहे हैं,
जैसे कि अधिक सूखा-सहिष्णु फसलें बनाने के लिए आईएआरआई का प्रयास। इस ग्रह के दूसरे देशों की तरह भारत के पास भी सीमित संसाधन हैं, लेकिन इसने हमें दिखाया है कि कैसे दुनिया उस बाधा के बावजूद भी प्रगति कर सकती है। अगर हम एक साथ काम करते हैं, तो मेरा मानना है कि हम एक ही समय में जलवायु परिवर्तन से लड़ सकते हैं और वैश्विक स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं।