नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) की वजह से गुजरात (Gujarat) के हीरा उद्योग से जुड़े लाखों मजदूरों (Diamond Industry Workers) की आजीविका प्रभावित हुई है. खासकर सौराष्ट्र क्षेत्र के ग्रामीण हिस्सों में, जहां हीरे की प्रोसेसिंग और पॉलिशिंग (Processing and Polishing) होती है. ये यूनिट (Diamond Unit) रूस से छोटे आकार के हीरे का आयात करती हैं. रूस से छोटे आकार के कच्चे हीरों (Raw Diamond) की आपूर्ति में कमी के कारण गुजरात के व्यापारी अफ्रीकी देशों और अन्य जगहों से कच्चा माल खरीदने को मजबूर हैं. इसकी वजह से उनके मुनाफे पर असर पड़ रहा है. गुजरात के हीरा उद्योग में करीब 15 लाख से अधिक लोग काम करते हैं.
रत्न एवं आभूषण निर्यात परिषद (GJEPC) के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिनेश नवादिया ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि राज्य में हीरे की कई यूनिट्स ने अपने श्रमिकों के काम के घंटे घटा दिए हैं. इसकी वजह से उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है. बड़े आकार के हीरे की प्रोसेसिंग मुख्य रूप से सूरत शहर की इकाइयों में की जाती है. भारत से अमेरिका को करीब 70 फीसदी कटे और पॉलिश किए गए हीरे निर्यात (Diamond Import) किए जाते हैं. लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से उन्होंने रूस की कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं.
नवादिया ने कहा कि अमेरिका की कुछ बड़ी कंपनियों ने पहले ही उन्हें ईमेल भेजकर कहा है कि वे रूस का सामान नहीं खरीदेंगी. इसकी वजह से गुजरात में मुख्य रूप से सौराष्ट्र के भावनगर, राजकोट, अमरेली और जूनागढ़ जिलों के साथ-साथ राज्य के कुछ उत्तरी हिस्सों में हीरा उद्योग के श्रमिक बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.
नवादिया ने कहा कि हम रूस से लगभग 27 प्रतिशत कच्चे हीरे का आयात कर रहे थे, लेकिन युद्ध के कारण अब इतनी मात्रा गुजरात की यूनिट्स तक नहीं पहुंच पा रही है. इसकी वजह से काम प्रभावित हो रहा है. गुजरात में हीरा प्रोसेसिंग में शामिल वर्क फोर्स का लगभग 50 प्रतिशत छोटे आकार के हीरे पर काम करता है. जिन्हें स्थानीय रूप से पटली के नाम से जाना जाता है.
युद्ध से पहले गुजरात पॉलिश करने के लिए कुल कच्चे हीरे में से लगभग 30 प्रतिशत रूसी हीरा खनन कंपनी अलरोसा से आयात करता था. नवादिया ने बताया कि गुजरात में कटे और पॉलिश किए गए हीरे में से 60 प्रतिशत रूसी मूल के हैं, जिनमें से ज्यादातर छोटे आकार के हीरे हैं.
अमरेली जिले के एक हीरा व्यापारी के मुताबिक हीरा यूनिट्स अन्य सोर्स से हीरे की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रही हैं. अफ्रीकी देशों में छोटे खनिक और चीन की प्रयोगशाला में विकसित छोटे आकार के हीरे आयात किए जा रहे हैं. लेकिन ऐसे हीरों की कीमतें बढ़ गई हैं और इसकी वजह से मुनाफा प्रभावित हो रहा है.
नवादिया ने कहा कि हीरा इकाइयां श्रमिकों को रोजगार प्रदान कर रही हैं, लेकिन युद्ध से पहले वाले हालात नहीं हैं. मजदूरों को आठ की जगह छह घंटे ही काम दिया जा रहा है. सप्ताह में छुट्टियां भी दो दी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि अभी तक निर्माता घाटे का सामना करने के बावजूद टिके हुए हैं. उत्पादन लागत में वृद्धि हुई है और तैयार माल को सही कीमत नहीं मिल रही है. इसलिए हीरा यूनिट कर्मचारियों के काम के घंटों को कम करके सीमित रोजगार प्रदान कर रही हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण हीरे के छोटे यूनिट सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं.