आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने भारत की डिजिटल बैंकिंग की जमकर की तारीफ
बिज़नेस न्यूज़ स्पेशल: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने भारत के डिजिटलीकरण के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह कदम बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला रहा है क्योंकि इससे भारत की सरकार के लिए ऐसे काम करना संभव हुआ है, जो अन्यथा बेहद कठिन होते। वहीं आईएमएफ में वित्तीय मामलों के विभाग के उप निदेशक पाओलो माउरो ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की तारीफ करते हुए कहा कि भारत जटिल मुद्दों का समाधान निकालने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिहाज से सबसे प्रेरणादायी मिसाल पेश कर रहा है और इस देश की बहुत सी बातें सीखने लायक है।
इस साल अब तक डीबीटी का लेखा जोखा
पहल स्कीम 56.38 करोड़
मनरेगा 16.57 करोड़
सामाजिक सहायता कार्यक्रम 5.4 करोड़
स्कॉलरशिप 15.47 लाख
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण 79.33 लाख
सार्वजनिक वितरण प्रणाली 1,59.48 करोड़
खाद सब्सिडी 4.45 करोड़
अन्य योजनाओं में 59.74 करोड़
(लेनदेन संख्या में)
डिजिटल होने के पांच फायदे:
1 लेनदेन के लिए लोगों को बैंक जाने की जरूरत नहीं रही
2. सरकारी सहायता सीधे जरूरतमंदों के खाते में आने से बिचौलियों की भूमिका खत्म हुई
3. जरूरतमंदों तक सहायता पहुंचाने का सरकारी खर्च घटा
4. अर्थव्यवस्था को गति देने में मददगार साबित हो रही यह पहल
5 डिजिटल व्यवस्था में प्रवेश होने से बाजार भी बदल जाते हैं
लेनदेन आसान हुआ:
गोरिंचेस ने भारत के डिजिटलीकरण के प्रयासों के बारे में कहा, डिजिटलीकरण कई पहलुओं में मददगार रहा है। पहला है वित्तीय समावेश क्योंकि भारत जैसे दशों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो बैंकिंग प्रणाली से नहीं जुड़े हैं। अब डिजिटल वॉलेट तक पहुंच होने से वे लेनदेन में सक्षम हो पाए हैं। आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, भारत के लिए एक और महत्वपूर्ण बात मेरे खयाल से यह है कि इन डिजिटल पहलों से सरकार पहुंच बना पाईं और वितरण प्रणाली को लोगों तक पहुंचा सकी जो परंपरागत तरीकों से काफी मुश्किल होता।
डीबीटी लॉजिस्टिक चमत्कार है: आईएमएफ में वित्तीय मामलों के विभाग के उप निदेशक पाओलो माउरो ने कहा कि भारत जटिल मुद्दों का समाधान निकालने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिहाज से सबसे प्रेरणादायी मिसाल पेश कर रहा है और इस देश की बहुत सी बातें सीखने लायक हैं। उसने भारत की प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना (डीबीटी) और इसी प्रकार के अन्य समाज कल्याण कार्यक्रमों को लॉजिस्टिक चमत्कार बताया। उन्होंने कहा, भारत के मामले में एक चीज है जो गौर करने लायक है और वह है विशिष्ट पहचान प्रणाली यानी आधार का इस्तेमाल। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण का लक्ष्य विभिन्न समाज कल्याण योजनाओं के लाभ एवं सब्सिडी को पात्र लोगों के खाते में समय पर और सीधे भेजना है जिससे प्रभावशीलता, पारदर्शिता बढ़ती है तथा मध्यस्थों की भूमिका कम होती है।
जी20 की अध्यक्षता भारत के लिए चुनौती: भारत को जी20 के अध्यक्ष के तौर पर दुनिया के समक्ष जो महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं उन्हें लेकर देशों को एक साथ लाने का कठिन काम करना होगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने यह कहा। उन्होंने कहा, जैसा कि हमने देखा है, जी20 के लिए अभी एक चुनौती यह है कि भू-आर्थिक विखंडन से कैसे निपटा जाए। और भू-अर्थव्यवस्था विखंडन इस तथ्य को दर्शाता है कि हमने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद भारी तनाव देखा है। गोरिंचेस ने कहा, भारत के लिए राह मुश्किल रहने वाली है। मेरा मानना है कि सबसे अहम काम होगा देशों का एक मंच पर मौजूद रहना ताकि संवाद कायम रहे और अहम मुद्दों पर प्रगति जारी रहे।
मंदी में दुनिया रोशनी दिखाएगा भारत: गोरिंचेस ने कहा कि भारत ऐसे वक्त में एक चमकदार रोशनी की तरह उभरा है जब दुनिया मंदी के आसन्न संकट का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि 10,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पाने के लिए भारत को महत्वपूर्ण ढांचागत सुधार करने होंगें। उन्होंने कहा कि यह लक्ष्य पाया जा सकता है। गोरिंचेस ने कहा, भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। जब यह 6.8 या 6.1 की ठोस दर के साथ बढ़ रही है तो यह उल्लेखनीय बात है। वह भी ऐसे वक्त जब बाकी की अर्थव्यवस्थाएं, विकसित अर्थव्यवस्थाएं उस गति से नहीं बढ़ रहीं।