इलेक्ट्रिक कारों से ज्यादा बिक रही हाइब्रिड कारें...जानें क्या है वजह

भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर तेजी के साथ इलेक्ट्रिक कारों को अपनाने में जुट गया है।

Update: 2020-12-08 04:50 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्कभारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर तेजी के साथ इलेक्ट्रिक कारों को अपनाने में जुट गया है। इलेक्ट्रिक कारें पूरी तरह से क्लीन एनर्जी पर काम करती हैं और इन्हें चलाने का खर्च भी आम पेट्रोल डीजल कारों की तुलना में काफी कम होता है। हालांकि इन खासियतों के बावजूद भारत में इलेक्ट्रिक कारों की तुलना में हाइब्रिड कारों को कहीं ज्यादा पसंद किया जा रहा है और इनकी खपत भी EV से कहीं ज्यादा है। ऐसे में आज हम प्योर इलेक्ट्रिक कार और हाइब्रिड कार के बीच में कम्पैरिजन लेकर आएं हैं जिससे आप समझ सकें कि भारत में हाइब्रिड कारों की खपत इलेक्ट्रिक कारों से ज्यादा क्यों है।

Electric Car: अगर इलेक्ट्रिक कार की बात करें तो ये पूर्ण रूप से इलेक्ट्रिसिटी पर निर्भर होती हैं। इन्हें चलाने के लिए एक पावरफुल बैटरी पैक और मोटर का इस्तेमाल किया जाता है। किसी भी इलेक्ट्रिक कार को पहले चार्ज किया जाता है और फिर इन्हें लंबी रेंज तक चलाया जा सकता है। इलेक्ट्रिक कार किसी फ्यूल कार से कई मामलों में अलग होती है। इलेक्ट्रिक कारों के साथ जो सबसे बड़ी दिक्क्त आती है वो इसकी चार्जिंग में है। दरअसल अभी भारत में इलेक्ट्रिक कारों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं हुआ है जिसकी वजह से आपको इन्हें घर पर ही चार्ज करना पड़ता है। ऐसे में आप एक सीमित दूरी तक ही इस कार को चला सकते हैं। चार्जिंग स्टेशन ना होने की वजह से आपको इसे अपने घर पर ही चार्ज करना पड़ता है। चार्जिंग में वैसे तो 5 से 8 घंटों का समय लगता है लेकिन फास्ट चार्जर की मदद से ये समय लगभग 1 से 2 घंटे का हो जाता है। इसके बावजूद भी इलेक्ट्रिक कारों के साथ ज्यादा लंबी दूरी तय नहीं की जा सकती है। अभी भारत में ये वाहन शुरुआती चरण में है ऐसे में इनकी कीमत भी काफी ज्यादा है, हालांकि सरकार इन कारों की बैटरी भारत में ही तैयार करने की योजना बना रही है जिससे इनकी कीमत में भारी कमी लाई जा सके।

Hybrid Cars: हाइब्रिड कारें फ्यूल और इलेक्ट्रिक दोनों ही कारों की तकनीक से लैस होती है। इसमें नॉर्मल फ्यूल कारों की तरह ही एक पावरफुल इंजन तो दिया ही जाता है साथ ही साथ इसमें एक इलेक्ट्रिक मोटर और बैटरी भी दी जाती है। हाइब्रिड कारें भी 3 तरह की होती हैं जिनमें माइल्ड हाइब्रिड, हाइब्रिड और प्लग-इन-हाइब्रिड शामिल हैं। अगर माइल्ड हाइब्रिड की बात करें तो ज्यादातर मिड रेंज की कारों में ये तकनीक दी जाती है जिसमें आपको इंजन के साथ ही कार में एक मोटर और कम क्षमता की बैटरी दी जाती है। वहीं हाइब्रिड कार की बात करें तो इसमें फ्यूल इंजन के साथ ही ज्यादा क्षमता की बैटरी और मोटर दी जाती है वहीं प्लग इन हाइब्रिड कारें भी फ्यूल इंजन और ज्यादा क्षमता की मोटर और बैटरी के साथ आती हैं। इनमें सबसे पॉपुलर है माइल्ड हाइब्रिड और हाइब्रिड कारें जो भारत में सबसे ज्यादा बिकती हैं। हाइब्रिड कारें फ्यूल इंजन के साथ इलेक्ट्रिक मोटर से भी एनर्जी लेती है जिससे फ्यूल की खपत कम होती है साथ ही प्रदूषण भी कम होता है। इस कार की बैटरी अपने आप चार्ज होती है जिससे इसे चार्ज करने की जरूरत नहीं पड़ती है। ये कारें चलाने में काफी स्मूथ होती हैं। हालांकि इनकी कीमत फ्यूल कारों से थोड़ी ज्यादा होती है।

इलेक्ट्रिक कारों में लगने वाले चार्जिंग टाइम और महंगे रख-रखाव की वजह से भारत में अभी लोग इन्हें खरीदने से बच रहे हैं जबकि हाइब्रिड कारों को फ्यूल के साथ ही बिजली से भी चलाया जा सकता है जिसकी वजह से भारत में इसकी काफी डिमांड है और लोग इसे इलेक्ट्रिक कारों से काफी ज्यादा पसंद करते हैं। हालांकि इलेक्ट्रिक कारें ही भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का भविष्य हैं लेकिन इन्हें पूरी तरह से चलन में आने में कुछ समय और लग सकता है।



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