शौक बड़ी चीज होती है! घर में बोनसाई के पौधे उगाना किया शुरू, अब साल में कमाते हैं 50 लाख रुपए

लोग कहते हैं कि शौक बड़ी चीज होती है और कभी कभी यह शौक फायदे का बिजनेस भी बन जाता है

Update: 2021-12-30 17:04 GMT
लोग कहते हैं कि शौक बड़ी चीज होती है और कभी कभी यह शौक फायदे का बिजनेस भी बन जाता है, दिल्ली के रहने वाले एस औमिक दास की भी .कहानी कुछ ऐसी ही है. 52 वर्ष के एस औमिक दास पेशे से व्यवसायी हैं लेकिन बोनसाई के प्रति उनके प्रेम के कारण उन्होंने इसकी नर्सरी बना ली और इसस अब प्रतिवर्ष लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं. इसके पीछे एक बेहद ही दिलचस्प कहानी है.
एस औमिक दास बताते है कि बोनसाई पौधे से उनकी पहली मुलाकात 90 के दशक की शुरुआत में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित बागवानी उत्सव के दौरान हुई. बीते पलों को याद करते हुए वो बताते हैं कि जब उन्होंने पहली बार बोनसाई पौधे को देखा तो उन्हें लगा कि जैसे किसी ने जादू की छड़ी से पेड़ों को छोटा कर दिया है. उस वक्त को 12वी के छात्र थे. उस वक्त जब उन्होंने पौधे को छूने की कोशिश की थी तब माली ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहा था कि यह बहुच महंगे हैं. इसके बाद जब वो घर आए तब भी वो उन पौधे के बारे में सोचते रहे.
घर में बोनसाई के पौधे उगाना शुरू किया
बोन्साई के प्रति औमिक दास का प्यार ही था कि उन्होंने अपने घर में बोनसाई के पौधे उगाना शुरू किया. बोनसाई पौधे तैयार करना एक प्रकार की कला है. वो बताते हैं कि यदि इनकी अच्छे से देखभाल की जाए तो यह 400 साल तक जीवित रह सकते हैं. जिसे आप आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचा सकते हैं. उन्होंने बताया कि पहले उनके घर के बैकयार्ड में छत के बगीचे में 200 बोन्साई के पौधे थे. द बेटर इंडिया से बात करते हुए सौमिक दास ने बताया कि इसके कारण उन्हें बोनसाई एसोसिएशन के लिए अपनी अपनी रुचि की वास्तविकता साबित करने में मदद मिली, जिसने मुझे 2010 के आसपास एक सदस्य के रूप में शामिल किया. इसके बाद उन्होंने ग्रो ग्रीन बोन्साई नर्सरी बनाई जहां एक हजार से अधिक पौधे हैं.
2018 में स्थापित की अपनी नर्सरी
बोन्साई एसोसिएशन का सदस्य बनने के बाद उनका नेटवर्क दिल्ली एनसीआऱ और अन्य शहरों में बागवानी करने वाले लोगों से साथ बन गया. देश भर में आयोजित बागवानी समारोह में वो अपना प्रदर्शन करने लगे. उनके परिवार और दोस्तों ने बताया कि यह बेहद दुलर्भ है इसके बाद उन्होंने 2018 में अपनी नर्सरी स्थापित की. ग्रो ग्रीन बोनसाई चालू हो गया था. उन्होंने बताया कि वो रसीला, कैक्टस और अन्य विदेशी पौधों को भी उगाते और बेचते हैं, लेकिन मेरे लिए, उनका उद्देश्य केवल पौधों के प्रति उत्साही लोगों के बीच बोनसाई को लोकप्रिय बनाना है, जो अविश्वसनीय कला से परिचित नहीं हो सकते हैं.
4000 वर्ग गज में फैला है नर्सरी
बोन्साई नर्सरी पूरे एनसीआर में घरों तक डिलीवरी प्रदान करती है और कॉर्पोरेट कर्मचारियों को अपने प्रियजनों के लिए घर की सजावट के रूप में पौधों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करती है. ग्रो ग्रीन बोनसाई फार्म 4,000 वर्ग गज में फैला हुआ है. अब भारत के बागवानी समुदाय में सौमिक दास की अलग पहचान है. इसके साथ ही वो दक्षिण एशिया बोन्साई संघ के लिए एक राजदूत भी है . सौमिक के पिता एक सरकारी फर्म में कला निर्देशक के रुप में कार्य करते थे. वो उन्हें बचपन से ही फ्लावर शो में ले जाया करते थे, इसलिए बचपन से ही पौधों से बेहद लगाव था.
35 से 50 लाख तक की है कमाई
नर्सरी में सबसे सस्ते बोनसाई प्लांट की कीमत जहां 800 रुपये है, वहीं सबसे महंगे वर्टिकल पेनजिंग प्लांट की कीमत 2.5 लाख रुपये है."ग्रो ग्रीन बोनसाई का वार्षिक कारोबार अब तक 35 से 50 लाख रुपये के बीच रहा है. सौमिक पिछले छह वर्षों से दिल्ली पर्यटन विभाग के साथ एक विशेष सहयोग के माध्यम से, हर फरवरी में साकेत में गार्डन ऑफ फाइव सेंसेस में अपने बोनसाई पौधों के संग्रह का प्रदर्शन कर रहे हैं. वे कहते हैं, "बोनसाई प्लांट की ओर झुकाव न केवल एक धैर्य सिखाता है, बल्कि छात्रों, डॉक्टरों और अन्य काम करने वाले पेशेवर जो अपने व्यस्त कार्यक्रम में एक मजेदार शौक पेश करना चाहते हैं उनके लिए मानसिक शांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
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