उच्च न्यायालय ने वेदांता-ONGC के साथ तेल समझौते को 2030 तक बढ़ाने के आदेश को किया रद्द
उच्च न्यायालय
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एकल न्यायाधीश के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें राजस्थान स्थित बाड़मेर ब्लॉक से तेल का उत्पादन करने के लिए केंद्र को वेदांता, ओएनजीसी के साथ अपने अनुबंध को 2030 तक बढ़ाने का निर्देश दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने 31 मई 2018 के एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार की अपील को स्वीकर किया। एकल न्यायाधीश के आदेश में वेदांता, जिसका नाम पहले केयर्न इंडिया था, के पक्ष में फैसला दिया गया था।
ब्लॉक में ओएनजीसी की 30 प्रतिशत हिस्सेदार
इस ब्लॉक में सरकारी कंपनी ओएनजीसी भी 30 प्रतिशत की हिस्सेदार है। बाकी हिस्सेदारी वेदांता लिमिटेड के पास है। केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि वेदांता के साथ उत्पादन साझेदारी समझौता (पीएससी) नई नीति के तहत आएगा। कंपनी ने इसका विरोध किया। एकल न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा था कि वेदांता अनुबंध के विस्तार के लिए हकदार थी। इस समझौते को 2020 में खत्म होना था।
वेदांता के शेयर में उछाल, ओएनजीसी में गिरावट
इसके बाद आज वेदांता के शेयर में उछाल देखा जा रहा है। 223.50 के स्तर पर खुलने के बाद यह दोपहर 2.43 बजे 1.82 फीसदी ऊपर 226.55 के स्तर पर पहुंच गया। कंपनी का बाजार पूंजीकरण 839.09 अरब रुपये पर पहुंच गया। वहीं ओएनजीसी के शेयर में गिरावट देखी जा रहा है। 103 के स्तर पर खुलने के बाद यह दोपहर 2.43 बजे 0.29 फीसदी नीचे 101.70 के स्तर पर पहुंच गया। कंपनी का बाजार पूंजीकरण 12.8 खरब रुपये पर पहुंच गया।
मालूम हो कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) का तेल और गैस की कीमतों में गिरावट के चलते चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में शुद्ध लाभ 67 फीसदी घट गया था। अक्तूबर-दिसंबर 2020 तिमाही में उसका एकल शुद्ध लाभ 1,378 करोड़ रुपये था, जो इससे पिछले वर्ष की इसी तिमाही के 4,226 करोड़ रुपये के मुकाबले 67.4 फीसदी कम है।