एचडीएफसी बैंक और बजाज फाइनेंस ने सावधि जमा दरों पर बढ़ाई ब्याज

निजी क्षेत्र के सबसे ब़़डे कर्जदाता एचडीएफसी बैंक और एक बड़ी एनबीएफसी बजाज फाइनेंस ने सावधि जमा यानी एफडी पर ब्याज दरों को ब़़ढा दिया है। आमतौर पर जमा दरों पर ज्यादा ब्याज देने को कर्ज की दरों को बढ़ाने की पहली कड़ी के तौर पर देखा जाता है।

Update: 2021-12-02 04:39 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।करीब साढ़े तीन वर्षों से ब्याज दरों में नरमी का दौर चल रहा है। लेकिन अब माहौल बदलने लगा है। निजी क्षेत्र के सबसे ब़़डे कर्जदाता एचडीएफसी बैंक और एक बड़ी एनबीएफसी बजाज फाइनेंस ने सावधि जमा यानी एफडी पर ब्याज दरों को ब़़ढा दिया है। आमतौर पर जमा दरों पर ज्यादा ब्याज देने को कर्ज की दरों को बढ़ाने की पहली कड़ी के तौर पर देखा जाता है। वैसे इस बारे में स्पष्ट संकेत अगले हफ्ते आरबीआइ की तरफ से मौद्रिक नीति समीक्षा से मिलेगा। अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई दूसरी बड़ी इकोनामी के केंद्रीय बैंकों ने भी ब्याज दर बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है।

एचडीएफसी बैंक ने दो करोड़ रपये की जमा राशि के लिए 33 महीने की जमा योजना पर देय ब्याज की दर को 6.10 प्रतिशत सालाना से ब़़ढाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया है। जबकि इसी राशि पर 66 महीनों परिपक्वता अवधि के लिए ब्याज की दर को 15 आधार अंक बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया गया है। बैंक 99 महीनों की अवधि के लिए अब 6.9 प्रतिशत का ब्याज देगा। वरिष्ठ नागरिक अगर दो करोड़ रपये तक की स्थायी जमा योजना लेते हैं तो उन्हें बैंक 0.25 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज देगा। दूसरी तरफ देश अग्रणी एनबीएफसी बजाज फाइनेंस ने 24 महीने से 60 महीने तक की परिपक्वता अवधि वाली जमा योजनाओं पर ब्याज दरों को 0.30 प्रतिशत सालाना बढ़ाने का फैसला किया है।
ब्याज दरों को लेकर साफ संकेत अगले हफ्ते आरबीआइ गवर्नर की तरफ से घोषित होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा से मिलने की उम्मीद है। कुछ एजेंसियों की तरफ से पिछले एक महीने के दौरान जारी रिपोर्ट के अनुसार आरबीआइ संभवत: आखिरी बार ब्याज दरों से सीधे तौर पर कोई छेड़छाड़ नहीं करेगा। आरबीआइ ने पिछली सात समीक्षा बैठकों में ब्याज दरों को प्रभावित करने वाले वैधानिक दरों (रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, बैंक दर) में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे ब्याज दरें अभी ऐतिहासिक निचले स्तर पर हैं। होम लोन और आटो लोन की दरें पिछले दो दशकों के निचले स्तर पर चली गई हैं। लेकिन घरेलू स्तर पर महंगाई की स्थिति बहुत उत्साहजनक नहीं है। आरबीआइ की पिछली दो समीक्षा बैठकों के फैसलों से स्पष्ट है कि बैंक अब महंगाई की चिंता की और अनदेखी की स्थिति में नहीं है।


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