सरकार ने उठाया बड़ा कदम विनिवेश को आकर्षक बनाने के लिए, जानें क्या होगा फायदा
CBDT ने इस संबंध में एक स्पष्टीकरण जारी करते हुये कहा है कि इनकम टैक्स एक्ट की धारा 79 इस तरह के विनिवेश के बाद निजी हाथों में गये सार्वजनिक उपक्रमों पर लागू नहीं होगी.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कर्ज बोझ तले दबे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का विनिवेश (Disinvestment) आकर्षक बनाने के लिये सरकार ने ऐसे उपक्रमों के निजी हाथों में जाने के बाद उनके पिछले घाटे को भविष्य में होने वाले मुनाफे में समायोजित करने की सुविधा देने का फैसला किया है. इससे ऐसे उपक्रमों के खरीदारों को फायदा होगा. केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT ) ने इस संबंध में एक स्पष्टीकरण जारी करते हुये कहा है कि आयकर (Income Tax) कानून की धारा 79 (Section 79) इस तरह के विनिवेश के बाद निजी हाथों में गये सार्वजनिक उपक्रमों पर लागू नहीं होगी.
वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) के तहत आने वाले सीबीडीटी ने कहा है, इस लिहाज से रणनीतिक विनिवेश के पिछले साल और उससे पहले के साल में हुये घाटे को निजी हाथों में जा चुके सार्वजनिक उपक्रम द्वारा आगे के साल में समायोजित किया जा सकेगा.
क्या है सेक्शन 79?
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 79 कंपनियों के मामले में घाटे को आगे ले जाने और उसे समायोजित किये जाने संबंधी मामलों के बारे में है. बोर्ड ने कहा है, रणनीतिक विनिवेश की सुविधा के लिये यह तय किया गया है कि आयकर कानून 1961 की धारा 79 ऐसे पूर्व सार्वजनिक उपक्रमों पर लागू नहीं होगी जो कि रणनीतिक विनिवेश के कारण निजी हाथों में गई हैं. सीबीडीटी के वक्तव्य में कहा गया है कि इस संबंध में कानून में जरूरी संशोधन आने वाले समय में किया जायेगा.
इस बारे में नांगिया एंडरसन एलएलपी प्रमुख (सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के सलाहकार) सूरज नांगिया ने कहा, सरकार ने अनुमति दी है कि ऐसे सार्वजनिक उपक्रमों (PSU) में शेयरों को रणनीतिक निवेशकों को हस्तांतरित करने के कारण बीमार सार्वजनिक उपक्रमों की हिस्सेदारी में बदलाव के बाद ऐसे पीएसयू के नुकसान को भविष्य के मुनाफे के साथ समायोजन के लिए आगे ले जाने की अनुमति दी जाएगी.
उन्होंने कहा कि इससे खस्ताहाल सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश को अधिक आकर्षक बनाया जा सकेगा. सामान्य टैक्स प्रावधान के तहत इस रियायत के बिना किसी कंपनी के पिछले साल के घाटे को आगे के सालों में समायोजित नहीं किया जा सकता है.
विनिवेश पाइपलाइन में एअर इंडिया सबसे महत्वपूर्ण
आपको बता दें कि सरकार की विनिवेश पाइपलाइन में राष्ट्रीय विमानन कंपनी एअर इंडिया (Air India) सबसे महत्वपूर्ण है जिसके लिये वित्तीय बोलियां जमा करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर है. इसके साथ एअर इंडिया एक्सप्रेस और एअर इंडिया एसएटीएस की एयरपोर्ट सविर्सिज प्रा लि में एअर इंडिया की 50 फीसदी हिस्सेदारी का भी विनिवेश किया जायेगा.a