सरकार से मिली थी मदद, अब किसानों को करेले की खेती से 8-10 करोड़ की हुई आय
किसानों को पहले सरकार द्वारा माईक्रो इरिगेशन सिस्टम दिलाया गया
मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र विकास खंड बिरसा में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के कोर जंगल के बफर जोन क्षेत्र के करीब 10 गांव के 300 किसानों ने उच्च तकनीक का उपयोग कर माइक्रो इरीगेशन सिस्टम से हाइब्रीड करेला की खेती की. इसके जरिए उन्होंने दूसरे किसानों को नई राह दिखाई है. किसानों ने कोरोना काल में करेला की खेती कर अन्य परंपरागत फसलों की तुलना में पांच गुना अधिक आय अर्जित की है. अधिकांश किसान बालाघाट जिले में निवास करने वाली विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा से हैं.
किसानों को पहले सरकार द्वारा माईक्रो इरिगेशन सिस्टम दिलाया गया. अन्य किसानों के परिवारों के 10 से 12 युवा जो शहर में नौकरी कर रहे थे, वे भी कोरोना काल में अपनी नौकरी छोड़ कर घर वापस आ गए थे. उन युवाओं ने भी करेला की खेती में रूचि ली और प्रति कृषक लगभग 8 से 10 टन करेला का उत्पादन किया. मार्च से मई तक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के किसानों ने अपने खेतों में 2500 से 3000 टन करेला का उत्पादन किया है. किसानों ने करेला की खेती से प्रति एकड़ एक से 2 लाख रुपए की शुद्ध आय अर्जित की है.
2500 टन करेला अन्य प्रदेशों की मंडियों में भेजा गया
करेला की खेती से कोरोना काल में स्थानीय युवाओं को रोजगार मिला है. किसानों के खेत के माल को हर दिन मंडी पहुंचाने में माल वाहकों को भी स्थानीय स्तर पर काम मिल गया. बिरसा विकास खंड से लगभग 2500 टन करेला अन्य प्रदेश की मंडियों में भेजकर किसानों ने 8 से 10 करोड़ रुपए की आय अर्जित की है.
विकास खण्ड बिरसा के ग्राम बासीनखार के बैगाटोला के बैगा जनजाति के कृषक समारू और बजारी क्षेत्र में बैगा परिवारों और दूसरे कृषक परिवारों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन रहे हैं उनके द्वारा भी प्रति एकड़ 1 लाख रुपए की शुद्ध आय अर्जित की गई है. करेला की खेती से हुई आय को देखते हुए आने वाले समय में इस क्षेत्र मे उद्यानिकी फसलों का रकबा दो वर्ष में दो से तीन गुना तक बढ़ने की प्रबल सम्भावना है.