सरकार- वित्त मंत्री बनाएगी नियम, 9 साल पुराने विवादित टैक्स कानून को खत्म करने के लिए, जाने बातें

रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स कानून के चलते केयर्न एनर्जी (Cairn Energy) और वोडाफोन पीएलसी (Vodafone PLC) से करोड़ों रुपए की टैक्स मांग की गई थी.

Update: 2021-08-17 02:25 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण ने कहा कि रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स (Retrospective tax) डिमांड करने वाले प्रावधानों को समाप्त करने संबंधी नियम जल्द ही तैयार कर लिये जाएंगे. रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स कानून के चलते केयर्न एनर्जी (Cairn Energy) और वोडाफोन पीएलसी (Vodafone PLC) से करोड़ों रुपए की टैक्स मांग की गई थी. संसद ने इस महीने की शुरुआत में एक संशोधन कानून पारित कर 2012 के Retrospective tax लगाने संबंधी कानून के प्रावधान को निरस्त कर दिया.

इस कानून के तहत सरकार को 50 साल पुराने मामले में भी टैक्स लगाने की ताकत दी गई थी. ऐसे मामले जहां विदेशों में बैठकर कंपनियों के मालिकाना हक में बदलाव हुआ और पूंजीगत लाभ की प्राप्त हुई लेकिन ऐसी कंपनियों का ज्यादातर कारोबार भारत में था.
इन कंपनियों पर हुआ इस कानून का इस्तेमाल
वर्ष 2012 के इस कानून का इस्तेमाल ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी वोडाफोन, केयर्न एनर्जी सहित 17 कंपनियों पर कुल मिलाकर 1.10 लाख करोड़ रुपए का टैक्स लगाने के लिये किया गया. संशोधित कानून में यह व्यवस्था की गई है कि अगर कंपनियां सभी कानूनी विवाद वापस लेती हैं तो उनसे Retrospective tax वापस कर दिया जाएगा. इसके लिये अब नियमों को तैयार किया जाना है, वित्त मंत्री ने इसी संबंध में कहा कि नियम जल्द तैयार कर लिये जायेंगे. उन्होंने कहा, मैं इस संबंध में संसद में पारित कानून का अनुसरण करूंगी.
सरकार लौटाएगी 8100 करोड़ रुपए
सरकार को Retrospective tax लगाने के इस कानून के तहत वसूली गई 8,100 करोड़ रुपए की राशि लौटानी होगी. इसमें से 7,900 करोड़ रुपए की सबसे अधिक राशि अकेले केयर्न एनर्जी से ही वसूली गई. आयकर विभाग (Income Tax Department) ने केयर्न की उसकी पूर्व भारतीय इकाई में 10 फीसदी हिस्सेदारी को बेच दिया, उसके 1,140 करोड़ रुपए के डिविडेंड को भी जब्त कर लिया. साथ ही 1,590 करोड़ रुपए के टैक्स रिफंड को भी रोक लिया गया था.
केयर्न ने मामले को अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण में चुनौती दी जिसने पिछले साल दिसंबर में सरकार के कदम को गलत करार दिया और पूरी राशि लौटाने का आदेश दिया. इसी प्रकार वोडाफोन को भी 22,100 करोड़ रुपए की आयकर विभाग की कर मांग में मध्यस्थता न्यायाधिकरण से उसके पक्ष में निर्णय मिला. हालांकि सरकार ने दोनों मामले में कंपनियों के पक्ष में दिये फैसले के खिलाफ अपील की.


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