खुशखबरी! खाने के तेल की महंगाई से बड़ी राहत, सरकार ने पाम तेल पर लगने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी में की बड़ी कटौती
सरकार ने खाने के तेल के इम्पोर्ट ड्यूटी में 5.5 फीसदी कटौती की है. सरकार के इस फैसले से त्योहारों के मौसम में आम आदमी को खाने के तेल की महंगाई से बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। खाने के तेल की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला किया है. केंद्र सरकार ने खाद्य तेल (Edible Oil) के आयात पर लगने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी (Import Duty) में बड़ी कटौती की है. सरकार ने खाने के तेल के इम्पोर्ट ड्यूटी में 5.5 फीसदी कटौती की है. सरकार के इस फैसले से त्योहारों के मौसम में आम आदमी को खाने के तेल की महंगाई से बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है. आपको बता दें कि सरकार ने पिछले महीने भी खाने के तेल पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती की थी. एक साल कई खाने तेलों के दाम 50 फीसदी तक बढ़े हैं.
सरकार ने 30 सितंबर तक कच्चे पाम तेल (Crude Palm Oil- CPO) पर इम्पोर्ट ड्यूटी 30.25 से घटाकर 24.7 फीसदी कर दिया है जबकि रिफाइंड पाम तेल पर इम्पोर्ट ड्यूटी 41.25 फीसदी से घटाकर 35.75 फीसदी कर दिया गया है. रिफाइंड सोया तेल (Soya Oil) और सूरजमुखी तेल (Sunflower Oil) पर इम्पोर्ट ड्यूटी भी सितंबर के अंत तक 45 फीसदी से घटाकर 37.5 फीसदी कर दिया गया है.
खाने के तेल की जमाखोरी के खिलाफ होगी कार्रवाई
खाद्य तेल के दाम में लगातार बढ़ोतरी के बीच केंद्र ने राज्यों से कहा कि वे खुदरा विक्रेताओं को उपभोक्ताओं के लाभ के लिए सभी खाद्य तेल ब्रांडों की कीमतों को प्रमुखता से प्रदर्शित करने का निर्देश दें. इसके साथ ही थोक व्यापारी, मिल मालिक और तेल रिफाइनिंग मिल के स्तर पर किसी प्रकार की जमाखोरी के खिलाफ कार्रवाई करें.
राज्यों के प्रतिनिधियों और तेल उद्योग के अंशधारकों के साथ बैठक के बाद, केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने व्यापारियों पर स्टॉक सीमा लगाने के साथ-साथ खाद्य तेलों के लिए एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) तय करने की संभावना पर भी जोर दिया. उनका कहना था कि एक बेहतर प्रतिस्पर्धी माहौल में बाजार की ताकतें इन दरों का निर्धारण करेंगी.
पांडे ने कहा कि सरकार कीमतों को कम करने के लिए किए गए विभिन्न उपायों के प्रभाव का विश्लेषण करने के बाद मौजूदा आयात शुल्क व्यवस्था को लेकर फैसला करेगी.
खाद्य तेल की कीमतों में कमी आने की उम्मीद
उनके अनुसार, इस महीने के अंत तक नई खरीफ फसल की आवक, वैश्विक बाजारों में कीमतों में गिरावट और केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से खाद्य तेल की कीमतों में कमी आने की उम्मीद है.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार का मौजूदा ध्यान, आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता सुनिश्चित करने पर है. पांडे ने कहा कि आज की बैठक में राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि खुदरा विक्रेता खाद्य तेलों की दरों को प्रमुखता से प्रदर्शित करें.