अच्छे दिन के सब्जबाग, महंगाई ने जीना कर दिया बेहाल...

Update: 2021-07-13 05:52 GMT

सिर्फ मंत्रियो के विभाग बदल देने से अच्छे दिन नहीं आ जायेंगे

मंहगाई की मार से जनता बेहाल

पेट्रोल-डीज़ल और खाने के तेल के दाम आसमान छु रहे

केंद्र के 90 फीसदी मंत्री करोड़पति जिनका गरीबों के आंसुओं से सरोकार नहीं

ज़ाकिर घुरसेना

रायपुर। एक बार फिर आम आदमी पर पड़ी महंगाई की मार, इन जरूरी चीजों की बढ़ी दाम कितना भी कमाइए, महंगाई इतनी है कि हफ्ते भर में ही महीने का बजट खत्म हो जा रहा है जिससे लोग परेशान हैं. बिना सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर की कीमतें बढ़ गई हैं. डीजल-पेट्रोल का क्या हाल है हम सब जानते हैं. कई जगहों पर पेट्रोल 111 रुपये के पार पहुंच गया और आम आदमी की रसोई का बजट बिगड़ गया है. अब हर छोटी-बड़ी चीज खरीदने से पहले दूर की सोचनी पड़ती है. चाय की रंगत फीकी पड़ गई है 290 रुपया प्रति किलो बिकने वाली चायपत्ती अब 490 रुपया प्रति किलो हो गया है। खाने तेल के दाम भी आसमान छू रहे हैं। अब रसोई मन के मुताबिक नहीं चलती, बल्कि जेब के अनुसार ही चलानी पड़ती है। पहले घर तीन हजार में चल रहा था वो अब 10 हजार तक पहुंचा गया है. गैस सिलेंडर मंहगा है, दालें महंगी हैं, सब्जियां महंगी हैं और तेल की तो पूछिए ही मत, खाने का तेल सीधा तीन गुना बढ़ गया है। हालांकि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने जरूर आम जनता को खुश खबरी सुनाई है कि खाने के तेलों की कीमत में जल्द कमी आएगी। अब सवाल ये उठता है कि जब देश के वित्तमंत्री बढे हुए दामों को कम कर सकतीं हैं तो उसके दामों में बढ़ोतरी ही क्यों होने दी। पहले तो खाद्य पदार्थो के दामों में बेतहाशा इजाफा करते हैं फिर बाद में जनता को अच्छे दिन आने का सब्जबाग दिखाकर रेट कम करने की बात करते हैं। आज देखा जाये तो पेट्रोल-डीजल की तरह खाने की तेलों के दाम भी आसमान छू रहे हैं। देखा जाये तो सरसो से लेकर रिफाइंड तेल की कीमते रिकार्ड स्तर पर है। ऐसी मंहगाई लोगो ने आज तक नहीं देखा है। ऐसा महसूस हो रहा ही कि बाजार में सरकार की पकड़ नहीं है या जानबूझकर किसी को फायदा पहुंचने के लिए वस्तुओ के दामों में इजाफा जारी है और सरकार हाथ में हाथ धरे बैठी है। देश की जनता को अच्छे दिन की दु:स्वप्न दिखाने वाली मोदी सरकार के दौर में रोजमर्रा की जरूरतों की चीजों के बढ़ते दाम क्या सरकार को दिखाई नहीं देती। केंद्र की मोदी सरकार अपने अघोषित एजेंडे के प्रति तो पूरी तरह फिक्रमंद है लेकिन जिन वादों के सहारे वो बहुमत पायी है उन वादों पर अमल करते दिखाई नहीं दे रही है। अच्छे दिन की आस में जनता ने खूब सपोर्ट किया लेकिन वो अच्छे दिन कहाँ रह गए। आज मंहगाई और बेरोजगारी से देश में त्राहि त्राहि मची है सिर्फ मंत्रियो के विभाग बदल देने मात्र से अच्छे दिन नहीं आ जायेंगे। हर हाल में गरीबों की सुध लेनी होगी तब अच्छे दिन की उम्मीद की जा सकती है। सरकार अपने गैर जिम्मेदाराना नीतियों से देश में मंहगाई को चरम पर ला दिया है इस बात का अहसास क्या सरकार को है मंहगाई और बरोजगारी का प्रभाव देश की जनता पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। लोगो को दो वक्त की रोटी के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है। गैस की सब्सिडी के नाम पर भी सरकार द्वारा छला गया शुरू में तो कुछ महीने सब्सिडी आयी लेकिन अब आ भी रही है तो वो नाम मात्रा की। देखा ये जा रहा है कि सरकार अब भी कई चीजों के लिए कांग्रेस और नेहरू की गलती मानती है। जबकि अब तो ना कांग्रेस है और ना ही नेहरू जी। देश में मंहगाई इतनी बढ़ गई है कि सबकुछ बजट से बाहर जा रहा है. घर की रसोई में जो सामान पहुंच रहा है, सब्जियां आ रही हैं, उन्हें अब आप चाहे लोकल मार्केट से खरीदिए या फिर मंडी से, हर बार आपको दाम बढ़े ही मिलेंगे. मंडी जाकर भी कोई खास बचत नहीं हो रही हैं आम आदमी सिर्फ ये ही सोचता है कि आने वाला दिन कैसे बीतेगा क्योंकि आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया हो गया है। विगत दिनों प्रधानमन्त्री मोदी ने केबिनेट का विस्तार किया है जिसमें 90 प्रतिशत मंत्री करोड़पति है जिनकों गरीबी और गरीबों से क्या लेना-देना दाल का रेट 400 रुपए किलों, खाने के तेल का रेट 800 रुपए किलो या गैस सिलेंडर/पेट्रोल 2000 भी हो जाए तो इन्हे कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि सुबह उठते साथ ये सोने के चम्मच में खाना खाते और सोने के कप में चाय की चुस्की लेते है। ऐसे करोड़पतियों को मंत्री बनाने से महंगाई कम होने वाली नहीं है। 

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