लेटेस्ट न्यूज़: बेंगलूरू स्थित गेमिंग कंपनी गेमस्क्राफ्ट को जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय के 21,000 करोड़ के कारण बताओ टैक्स नोटिस पर कंपनी ने कहा, इतना टैक्स नहीं बनता क्योंकि वह अदालतों द्वारा परिभाषित गेम ऑफ स्किल्स खिला रही है। न कि गेम ऑफ चांस, जिसके आधार पर नोटिस दिया गया।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा, अगर ऐसा साबित होता है तो नोटिस निष्प्रभावी होगा। कर्नाटक स्थित कंपनी को 8 सितंबर को नोटिस भेजा गया था। इसे कंपनी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस एसआर कृष्ण कुमार की बेंच के समक्ष कंपनी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क रखा कि ऑनलाइन खिलाया जा रहा रमी कई हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा गेम ऑफ स्किल बताया गया है। कंपनी के ऑनलाइन प्लेटफार्म पर 96% यही गेम खेला जाता है। पूर्व में ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन और राज्य सरकार के बीच हुए मुकदमे में भी इसी को गेम ऑफ़ स्केल परिभाषित किया गया था। वहीं, कंपनी ने इससे हुई आय पर 1,500 करोड़ रुपए टैक्स भरा है।
जीएसटी ने जुए का प्लेटफॉर्म बताया: जीएसटी इंटेलिजेंस ने दावा किया कि कंपनी के प्लेटफार्म को जुआ खिलाने के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। कार्ड, कैजुअल, रमी कल्चर, रमी टाइम, गेम्सजी के जरिये ऑनलाइन जुए को बढ़ावा दिया जा रहा है। कंपनी पर 2017 से जून 2022 तक 28% की दर से जीएसटी न चुकाने का आरोप है। रकम के लिहाज से यह अब तक का सबसे भारी भरकम नोटिस माना जा रहा है। हाईकोर्ट ने 23 सितंबर को नोटिस पर अस्थाई रोक लगा दी थी।