नई दिल्ली | अगस्त का महीना... साल 2018, तारीख 11 और दिन शनिवार। सब कुछ रोज की तरह सामान्य दिनचर्या जैसा लग रहा था. सभी बैंक कर्मचारी अपने-अपने काम में व्यस्त थे. उनका दिमाग उस हमले से बहुत दूर था जो बैंक के लिए विनाशकारी होने वाला था। लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, शाम के 5 बजते ही एक के बाद एक फोन की घंटियाँ बजने लगीं और सबके मन में एक ही सवाल था- क्या सर्वर में कोई खराबी है? फोन की घंटी बजी और बैंक का मजबूत सिक्योरिटी सर्वर हैक हो गया. यह इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा साइबर हमला था. ऐसा हमला जिसने चंद सेकेंड में हिला दी 32 देशों की एजेंसियां और भारत को लगा दिए 95 करोड़ रुपये इस साल अप्रैल में देश और इतिहास के सबसे बड़े साइबर हमले के लिए 11 लोगों को जेल की सजा सुनाई गई थी. लेकिन सवाल यह उठता है कि साइबर ठगों ने चुटकी में बैंक के 95 करोड़ रुपये कैसे साफ कर दिए? आइए जानते हैं सबसे बड़ी मनी डकैती की परत-दर-परत जानकारी...
दरअसल, 11 और 13 अगस्त को होने वाली सबसे बड़ी बैंक डकैती की स्क्रिप्ट 6 महीने के अंदर ही लिखी गई थी. इसके लिए कई लोगों की टीम बनाई गई और चरण दर चरण बैंक चोरी को अंजाम दिया गया. ठगों की योजना थी कि वे दो चरणों में बैंक से पैसे निकालेंगे. पहला हमला 11 अगस्त 2018 दिन शनिवार को होगा. इस दिन बैंक का कंप्यूटराइज्ड एटीएम सर्वर हैक हो गया था. इस पर कब्ज़ा कर भारत समेत 31 देशों से पैसा निकाला गया. इसके लिए ठगों ने क्लोनिंग कार्ड बनाए। इसके ठीक दो दिन बाद यानी सोमवार को सोसायटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक टेलीकम्युनिकेशंस यानी स्विफ्ट सुविधा हैक हो गई.
प्लानिंग के तहत की चोरी
ठगों की प्लानिंग के मुताबिक पहले हमले में भारत समेत 31 देशों से क्लोन कार्ड के जरिए अलग-अलग एटीएम से 80 करोड़ 50 लाख रुपये निकाल लिए गए. इसके बाद हैकर्स ने मैसेजिंग सिस्टम के जरिए बैंक खाते से 13 करोड़ 92 लाख रुपये उड़ा लिए. लेकिन ठगों ने इतना पैसा कहां रखा? तो जनाब, ठगों ने इतनी रकम हांगकांग की हैंग सेंग के अकाउंट में ट्रांसफर कर दी। यह खाता एक स्थानीय फर्म का था. अब आपके मन में सवाल होगा कि एटीएम से एक साथ पैसे कैसे निकाले गए?जब इसकी जांच की गई तो पुलिस को पता चला कि कॉसमॉस बैंक के करीब 5,000 क्लोन कार्ड बनाए गए थे, जिनसे चोरी हुई. यह रकम दुनिया भर के 12 हजार से ज्यादा एटीएम से निकाली गई। चुराए गए एटीएम कार्ड का डेटा डार्कनेट से खरीदा गया था। भारत से बाहर लेनदेन के लिए वीज़ा कार्ड का इस्तेमाल किया जाता था, जबकि भारत में रुपे कार्ड की मदद से रकम निकाली जाती थी.
हांगकांग से पैसे कैसे वापस पाएं?
जब पुलिस को पता चला कि यह रकम विदेश में जमा है तो विदेश मंत्रालय और कॉसमॉस बैंक ने मिलकर प्रयास किया, जिससे लूटी गई रकम 5 करोड़ 72 लाख रुपये बरामद हो गए. दरअसल, हांगकांग के अधिकारियों ने 10 करोड़ रुपये फ्रीज कर दिए थे. वहां की अदालत ने पैसे लौटाने का निर्देश दिया तो पहली किस्त के रूप में 5 करोड़ 72 लाख रुपये लौटा दिये गये.
मामले में 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया
इतिहास की सबसे बड़ी साइबर हैकिंग और बैंक डकैती में अब तक 18 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. सजा सुनाए जाने से पहले ही एक आरोपी की मौत हो गई. सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि गिरफ्तार किए गए लोगों की हैकिंग में कोई भूमिका नहीं थी. उन्होंने बैंक के सर्वर पर साइबर हमले के बाद ही मुंबई, अजमेर और इंदौर जैसे शहरों के एटीएम से पैसे निकाले। वे तो सिर्फ भाड़े के मजदूर थे, जिन्हें खुद नहीं पता था कि वे किसी बड़ी डकैती में शामिल होने वाले हैं. हालाँकि, खबर यह थी कि इस मामले में उत्तर कोरिया की ख़ुफ़िया एजेंसी - रिकोनिसेंस जनरल ब्यूरो के लिए काम करने वाली एक इकाई शामिल हो सकती है।जिसके बाद रिकॉनिसेंस जनरल ब्यूरो यूनिट के तीन गुर्गों पर 2018 में भारत समेत कई देशों में साइबर हमले का संदेह है। इसके अलावा उन पर 2017 WannaCry 2.0 ग्लोबल रैंसमवेयर हमले का भी आरोप है। 2016 में भी बांग्लादेश बैंक से करीब 80 मिलियन डॉलर की चोरी के पीछे भी इसी एजेंसी का हाथ है. लेकिन, भारत के कॉसमॉस बैंक में हुई डकैती के लुटेरे अभी भी कहीं न कहीं खुलेआम घूम रहे हैं.