भारत में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में एक साथ मिलेंगी 3 लाख नौकरियां
कोरोना संक्रमण और सीमा पर भारत-चीन के रिश्तों में आए तनाव के बीच चीनी कंपनियों को आंख दिखाने का फायदा मिल रहा है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कोरोना संक्रमण और सीमा पर भारत-चीन के रिश्तों में आए तनाव के बीच चीनी कंपनियों को आंख दिखाने का फायदा मिल रहा है। केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत की नीति को आगे बढ़ाते हुए इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में खासा निवेश कर दिया है। स्वदेशी कंपनियों और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए कारोबार के नियमों में भी बदलाव किया गया है। इन सबके चलते अब खासतौर पर मोबाइल फोन, टीवी और लैपटॉप निर्माण क्षेत्र में रोजगार की भारी संभावनाएं सामने आ रही हैं।
सितंबर में देश की अर्थव्यवस्था के सर्विस सेक्टर में बढ़ोतरी देखी गई है। पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) में आठ अंकों का सुधार हुआ है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का प्रदर्शन लगातार बेहतर हो रहा है। आईएचएस मार्केट की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर माह के दौरान पिछले छह माह में पहली बार निजी क्षेत्र के उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई है। आने वाले समय में खासतौर पर इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र के उद्योगों में तीन लाख से ज्यादा नौकरियां मिलने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना संक्रमण के दौरान सितंबर में पीएमआई 49.8 अंक पर पहुंच गया है। इससे पहले यानी अगस्त में यह 41.8 अंक पर था। पीएमआई 50 से ऊपर चला जाता है तो यह माना जाता है कि देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अब ग्रोथ पर है। केंद्र सरकार ने मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के कामकाज को बढ़ावा देने के लिए घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के 16 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है।
इसके चलते देश में 11 हजार करोड़ का निवेश आएगा। ये सब पांच वर्षों के दौरान 10.5 लाख करोड़ रुपये की कीमत के मोबाइल फोन बनाने की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव स्कीम का हिस्सा रहेगा। केंद्र सरकार ने लावा, सैमसंग और एपल आदि कंपनियों के प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की है। इसके अलावा पीएलआई स्कीम के तहत इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट सेगमेंट के तहत एटीएंडएस, एसेंट सर्किट, वालसिन और एसेंट सरकिट्स सहित छह कंपनियों को भी हरी झंडी दी गई है।
ये सब ऐसे संभव होगा, केंद्र सरकार ने बनाई योजना...
केंद्र सरकार ने 40995 करोड़ रुपये की लागत से इस साल बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजना 'पीएलआई' शुरू की है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और अर्धचालकों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एसपीईसीएस स्कीम चालू की है। इस पर लगभग 32 सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे। संशोधित इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण क्लस्टर 'ईएमसी 2.0' योजना बनाई गई है। इसके जरिए आत्मनिर्भर भारत पॉलिसी को आगे बढ़ाया जाएगा। इस भी 3762 करोड़ रुपये की राशि खर्च होने का अनुमान है।
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौधोगिकी राज्य मंत्री संजय धोत्रे के अनुसार, सरकार इलेक्ट्रॉनिकी क्षेत्र को ज्यादा प्राथमिकता दे रही है। इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के लिए सरकार ने गत वर्ष राष्ट्रीय नीति की घोषणा की थी। एनपीई 2019 का मकसद भारत को इलेक्ट्रॉनिकी प्रणाली डिजाइन और विनिर्माण के लिए वैश्विक हब के रुप में पेश करना है। इस वर्ष इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण के मद्देनजर उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजना (पीएलआई), मोबाइल फोन निर्माण, असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग (एटीएमपी) इकाइयों सहित विनिर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक संघटकों के विनिर्माण में संलग्न कंपनियों को वृद्धिशील बिक्री (आधार वर्ष) पर पात्र कंपनियों को चार फीसदी से छह फीसदी की प्रोत्साहन राशि प्रदान करेगी।
इलेक्ट्रॉनिक संघटकों और अर्धचालकों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एसपीईसीएस योजना लाई गई है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की ऐसी चिन्हित सूची के लिए पूंजीगत व्यय में 25 फीसदी तक वित्तीय प्रोत्साहन करेगी। इसके तहत इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की डाउनस्ट्रीम वैल्यू चेन यानी इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स, सेमीकंडक्टर, डिस्प्ले फैब्रिकेशन यूनिट, विशेष सब असेंबली और उपरोक्त सामान के विनिर्माण के लिए पूंजीगत सामान आदि शामिल है।
लोकल इंडस्ट्री को मिलेगी मजबूती
संशोधित इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी 2.0) योजना के तहत नई इकाइयां स्थापित होंगी। प्रमुख वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक निर्माताओं को आकर्षित करने के लिए लोकल इंडस्ट्री को विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा खड़ा करने में मदद की जाएगी। इस योजना के अंतर्गत पूरे देश में ईएमसी परियोजनाओं और सामान्य सुविधा केंद्रों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण क्लस्टर योजना में 3565 एकड़ के क्षेत्र की पैमाइश वाले 20 ग्रीनफील्ड ईएमसी और तीन कॉमन फैसिलिटी सेंटर के लिए आईएनआर 3898 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत, जिसमें आईएनआर 1.577 करोड़ की सरकारी अनुदान सहायता भी शामिल है, अनुमोदित की गई है। स्टार्टअप और इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौधोगिकी के क्षेत्र में नई तकनीक विकसित करने वाली कंपनियों को जोखिम पूंजी प्रदान की जाएगी। इस राशि से अनुसंधान और विकास को बढ़ावा मिलेगा।55 सौ करोड़ रुपये के लक्षित कोष के साथ ईडीएफ के माध्यम से 11 डॉटर फंड के लिए आईएनआर 659 करोड़ रुपये का कोष प्रतिबद्ध किया गया है।
मोबाइल हैंडसेट और उसके सब असेंबली पार्ट्स निर्माण में घरेलू संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम शुरु किया गया है। टैरिफ संरचना को इलेक्ट्रॉनिक सामानों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए युक्तिसंगत बनाया गया है। इसमें सेलुलर मोबाइल हैंडसेट, टीवी, इलेक्ट्रॉनिक घटक, सेट टॉप बॉक्स, एलईडी उत्पाद और मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण शामिल है।
मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने और आय व रोजगार बढ़ाने के मकसद से भारत में वस्तुओं एवं सेवाओं के विनिर्माण और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने सार्वजनिक क्रय (मेक इन इंडिया को वरियता) आदेश जारी किया गया है। भारत में घटिया और असुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक सामानों के आयात पर अंकुश लगाकर भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य अनुपालन के रूप में सीआरओ के तहत 44 उत्पाद श्रेणियों को अधिसूचित किया गया है। आरएंडडी को बढ़ावा देने के लिए आईआईटी कानपुर में बड़े क्षेत्र वाले लचीले इलेक्ट्रॉनिक्स में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया गया है।