फिच रेटिंग्स ने किया देश के GDP वृद्धि दर अनुमान में कटौती, दूसरी कोरोना लहर से आर्थिक रिकवरी में देरी

फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए देश के जीडीपी वृद्धि दर अनुमान में कटौती की है।

Update: 2021-10-07 14:11 GMT

फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए देश के जीडीपी वृद्धि दर अनुमान में कटौती की है। उसका कहना कि इस साल जीडीपी वृद्धि दर 8.7 फीसदी रह सकती है। जबकि जून मेें उसने कहा था कि यह 10 फीसदी रहेगी। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि दूसरी कोरोना लहर के कारण अर्थव्यवस्था की रिकवरी में देरी हुई है, मगर अर्थव्यवस्था पटरी से नहीं उतरी है।

फिच ने अपने क्रेडिट ओवरव्यू में कहा कि भारत की 'BBB-/Negative' रेटिंग यह महामारी के झटके के कारण भारत के सार्वजनिक वित्त में तेज गिरावट के बाद ऋण क्षेत्र पर अनिश्चितता को दर्शाता है। फिच ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए उसने भारत के जीडीपी अनुमान को घटाकर 8.7 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले फिच ने जून में इसके 10 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।
जून में भी घटाया था अनुमान
जून में भी फिच ने अपने अनुमान को 12.8 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत किया था। वित्त वर्ष 2021-22 के अनुमानों की तुलना पिछले वित्तीय वर्ष में दर्ज 7.3 प्रतिशत के संकुचन और 2019-20 में 4 प्रतिशत की वृद्धि से की जाती है।
फिच ने कहा कि हमारे विचार में, कोरोना की दूसरी लहर ने भारत की आर्थिक रिकवरी को पटरी से नहीं उतारा है बल्कि उसमें देरी कर दी है। इसीलिए वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अपने वृद्धि अनुमान को 8.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया है।
आर्थिक संकेतक चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (अप्रैल 2021-मार्च 2022) में एक मजबूत सुधार की ओर इशारा करते हैं, क्योंकि व्यावसायिक गतिविधि फिर से पूर्व-महामारी के स्तर पर लौट आई हैं, लेकिन बढ़ता राजकोषीय घाटा चिंता पैदा करता है।
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