वित्त मंत्रालय सख्त, बैंकों से मांगी ये जानकारी

Update: 2021-12-24 06:38 GMT

वित्त मंत्रालय ने बैंकों से मार्च से अगस्त 2020 के बीच मोरेटोरियम के दौरान कर्जदारों से वसूले गए 'ब्याज पर ब्याज' के रिफंड या समायोजन पर नीति की जानकारी देने को कहा है। ईटी के मुताबिक, एक अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है। अधिकारी ने बताया कि अलग-अलग सर्विसेज के लिए वापस की गई या समायोजित की गई राशि की गणना कैसे की गई, बैंको को इसकी जानकारी देने के लिए कहा गया है। अधिकारी के मुताबिक, इस तिमाही के अंत से पहले बैंकों से जानकारी मिलने की उम्मीद है। उनसे पूछा गया है कि क्या इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) ने इंडस्ट्री के दूसरे अन्य पार्टिसिपेंट्स से सलाह के आधार पर कोई नीति बनाई है। कोविड -19 महामारी के प्रकोप के कारण भारतीय रिजर्व बैंक ने मार्च और अगस्त 2020 के बीच किश्तों के भुगतान के लिए उधारकर्ताओं को अस्थायी राहत देने के लिए लोन मोरेटोरियम की घोषणा की थी। इस साल मार्च में, सुप्रीम कोर्ट ने रहत को 31 अगस्त, 2020 से आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया था, लेकिन वित्तीय संस्थानों से उधारकर्ताओं के ब्याज पर ब्याज को माफ करने का निर्देश दिया था।

अधिकारी का कहना है कि वे लोग भी सरकारी बैंकों की देनदारियों का आंकलन करना चाहते हैं। आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार, वित्तीय संस्थानों को 31 मार्च, 2021 को समाप्त वर्ष के लिए अपनी वित्तीय जानकारी में इस बात का खुलासा करें कि उन्होंने राहत के आधार पर कितनी राशि रिफंड/समायोजित की है। हाल ही की एक रिपोर्ट में, रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सभी वित्तीय संस्थानों की देनदारियाँ 13,500-14,000 करोड़ रुपए की सीमा में हैं। 2 करोड़ रुपये तक के ऋण पर दी गई राहत से सरकारी खजाने को पहले से ही लगभग 6,500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

इस साल की शुरुआत में, आईबीए ने सरकार से मिलकर ब्याज पर ब्याज के भुगतान पर मुआवजे की मांग की थी। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक बैंकर ने बताया कि इस बात की उम्मीद थी कि सरकार पूरा नहीं तो आंशिक रूप से कुछ राशि का भार वहन करेगी। हालांकि, सरकार इस लागत को वहन करने के लिए इच्छुक नहीं है क्योंकि उसने पहले ही बैंकों को 2 करोड़ रुपये से कम के लोन के ब्याज पर मुआवजा दे चुकी है।


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