नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NAFED) ने देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक प्रदेश महाराष्ट्र से प्याज खरीदने के लिए रेट तय कर दिए हैं. अलग-अलग जिलों में 927.92 रुपये प्रति क्विंटल से लेकर 1181 रुपये तक का रेट तय किया गया है. इतने कम रेट की वजह से नाफेड और सरकार के खिलाफ महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक किसानों में नाराजगी है. प्याज की खेती करने वाले किसानों का कहना कि जब इस वक्त 15 से 18 रुपये प्रति किलो तक इसकी उत्पादन लागत आ रही है तो फिर किसान क्यों सिर्फ 10-12 रुपये किलो पर बेचेगा. नाफेड को प्याज का दाम (Onion Price) कम से कम 30 रुपये प्रति किलो तय करना चाहिए.
महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि किसानों को अच्छा दाम नहीं मिला तो प्याज की खेती तबाह हो जाएगी. लोग दूसरी फसलों की ओर रुख करेंगे और एक दिन ऐसा आएगा कि सरकार को दूसरे देशों से काफी महंगे दाम पर खरीद करनी पड़ेगी. महाराष्ट्र में देश का करीब 40 फीसदी प्याज पैदा होता है. यहां के लासलगांव में एशिया की सबसे बड़ी प्याज की मंडी है.
दिघोले ने बताया कि नाफेड ने नासिक और धुले जिले के लिए 1181, अहमदनगर और बीड के लिए 1014.67, उस्मानाबाद के लिए 941.67, पुणे के लिए 927.92 जबकि औरंगाबाद और हिंगोली जिले के लिए 891.67 रुपये प्रति क्विंटल का रेट तय किया है. मतलब यह है कि नाफेड इन्हीं रेट पर किसानों से सबसे अच्छी क्वालिटी का प्याज खरीदेगा. दिघोले का दावा है कि पिछले साल इससे अधिक रेट पर प्याज की सहकारी खरीद हुई थी.
महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक किसान इन दिनों दाम को लेकर बड़े संकट का सामना कर रहे हैं. नाफेड जैसी सहकारी संस्था अगर उत्पादन लागत से कम दाम पर प्याज खरीदने की इच्छा रखती है तो किसानों की आय (Farmers Income) डबल कैसे होगी. दूसरे नाफेड कम दाम देगा तो फिर मंडी में व्यापारियों को किसानों से लूट करने का मौका मिलेगा. वो किसानों पर दबाव बनाएंगे ताकि उन्हें कम दाम पर प्याज मिले. इस समय वैसे भी महाराष्ट्र की अलग-अलग मंडियों में 100 रुपये से लेकर 900 रुपये प्रति क्विंटल तक का ही दाम मिल रहा है.